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RERA नियामक पर सपा सरकार का फैसला रद्द, नई प्रक्रिया शुरू - Sabguru News
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RERA नियामक पर सपा सरकार का फैसला रद्द, नई प्रक्रिया शुरू

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RERA नियामक पर सपा सरकार का फैसला रद्द, नई प्रक्रिया शुरू
real estate act to increase accountability, transparency : DLF CEO
real estate act to increase accountability, transparency : DLF CEO
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लखनऊ। देश में सोमवार को रियल एस्टेट नियमन अधिनियम 2016 (रेरा) लागू हो गया, लेकिन उत्तर प्रदेश उन कुछ राज्यों में शामिल है जो नियामक प्राधिकरण का गठन करने में पीछे छूट गए हैं।

ऐसा राज्य में सत्ता में बदलाव की वजह से हुआ है। भारतीय जनता पार्टी की नई सरकार रियल एस्टेट कानून पर पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार के फैसलों की समीक्षा चाहती है।

अधिकारियों ने इस बात को माना कि राज्य एक मई को कानून को लागू करने की डेडलाइन को मिस कर गया है। बीती समाजवादी पार्टी सरकार ने राज्य कानूनों के तहत नियामक प्राधिकरण के गठन के लिए अधिसूचना जारी की थी। नई सरकार ने इस प्रक्रिया को रोक दिया है। उत्तर प्रदेश ने बीते नवंबर माह में रेरा के तहत नियमों को अधिसूचित किया था।

अतिरिक्त मुख्य सचिव (आवास एवं शहरी नियोजन) सदाकांत ने कहा कि अब यह प्रक्रिया नए सिरे से शुरू होगी। इससे पहले इस सिलसिले में हुई कार्रवाई रद्द हो चुकी है। उन्होंने कहा कि नियामक प्राधिकरण के चेयरमैन और अन्य सदस्यों के पदों के लिए आवेदन प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी और उम्मीद है कि राज्य में जून के अंत तक रेरा पर अमल हो जाएगा।

प्राधिकरण का चेयरमैन कोई सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ही हो सकता है जिसकी रैंक मुख्य सचिव के समकक्ष होगी। इसमें तीन सदस्य होंगे। यह सभी सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी होंगे और प्रधान सचिव के समकक्ष होंगे।

सूत्रों ने बताया कि पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन और दस से अधिक सेवानिवृत्त अधिकारियों ने चेयरमैन के पद के लिए आवेदन किया था, जबकि लगभग पैंतीस ने सदस्य पद के लिए आवेदन किया था।

आलोक रंजन को पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का करीबी माना जाता था। यह चर्चा थी कि चेयरमैन पद के लिए उनका नाम तय कर लिया गया है।

चेयरमैन और सदस्यों के चयन के लिए बनी तीन सदस्यीय समिति के अध्यक्ष इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे। माना जाता है कि उन्होंने कुछ नामों पर आपत्ति जताई थी जिसके बाद चयन प्रक्रिया धीमी पड़ गई थी। इसके बाद राज्य में चुनाव के मद्देनजर पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

उम्मीद की जा रही है कि नियामक प्राधिकरण के गठन की प्रक्रिया की अधिसूचना इसी हफ्ते फिर से जारी हो जाएगी। इसके बाद इसके दावेदारों के नामों को छांटा जाएगा।

रेरा के तहत बिल्डरों और आवास उपलब्ध कराने वाली आवास विकास जैसी संस्थाओं पर लगाम लगाने और समय पर घर नहीं मिलने के कारण दर-दर भटकने वाले खरीदारों के हित में कई प्रावधान किए गए हैं।