जयपुर। राजस्थान विधानसभा में शनिवार को जिला परिषदों में कनिष्ठ लिपिकों की भर्ती प्रक्रिया का मामला उठा। शून्यकाल में कांग्रेस विधायक घनश्याम मेहर में यह मामला सदन में उठाते हुए कहा कि सरकार युवाओं के साथ धोखा कर रही है।
प्रदेश में युवाओं की स्थिति खराब है। पंचायत में कनिष्ठ लिपिकों की भर्ती निकली थी लेकिन नियुक्त करने में सरकार विफल रही है।
इस मुद्दे पर हस्तक्षेप करते हुए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि जिला परिषदों के माध्यम से कनिष्ठ लिपिक के 19 हजार 275 पदों पर भर्ती प्रक्रिया जारी है और इस संबंध में वित्त विभाग को पत्रावली भेजी गई है।
उन्होंने कहा कि फरवरी, 2013 में 19 हजार 275 कनिष्ठ लिपिकों की भर्ती के विज्ञापन जारी किए गए थे। यह भर्ती जिला परिषदों के माध्यम से ऑनलाइन होनी थी। उन्होंने कहा कि 19 जून, 2013 को इसका परिणाम भी जारी कर दिया गया।
पंचायती राज मंत्री ने कहा कि तत्कालीन सरकार ने इसके लिए एक वर्ष के अनुभव के लिए 10 प्रतिशत, दो साल के लिए 20 प्रतिशत और 3 साल के लिए 30 प्रतिशत बोनस अंकों का प्रावधान किया।
उन्होंने कहा कि 15 जुलाई, 2013 को उच्च न्यायालय ने इस पर रोक लगा दी। तत्कालीन सरकार इसके लिए लार्जर बेंच में गई और वहां एक वर्ष के अनुभव के लिए 5 प्रतिशत, दो साल के लिए 10 प्रतिशत और 3 साल के लिए 15 प्रतिशत बोनस अंक दिए जाने का आदेश दिया गया।
उन्होंने बताया कि तत्कालीन सरकार ने इसके लिए उच्चतम न्यायालय में एसएलपी दायर की। राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि तत्कालीन सरकार ने यह व्यवस्था नहीं की कि इसके लिए बजट कहां से आएगा, वेतन कहां से दिया जाएगा।
वर्तमान सरकार ने इस मामले में गंभीर प्रयास किए और 19 नवम्बर, 2016 में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह 10, 20, 30 प्रतिशत बोनस अंकों की व्यवस्था पर हस्तक्षेप नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने पत्रावली वित्त विभाग को प्रेषित की है।
उन्होंने कहा कि इस बीच यह फैसला और आ गया कि जो कार्मिक प्लेसमेंट एजेंसी या वॉटरशैड के माध्यम से लगे हैं, उन्हें भी 10, 20 और 30 प्रतिशत बोनस अंक दिए जाएं।
उन्होंने बताया कि इसका विधिक परीक्षण करवाया जा रहा है। ग्रामीण विकास एवं पंचायती मंत्री ने कहा कि इस आधार पर संशोधित वरीयता सूची जारी की जाएगी और भर्ती प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा।