जयपुर। राज्य सरकार ने 15 हजार स्वीकृत पदों पर अध्यापकों की भर्ती के लिए पात्रता और नियुक्ति के लिए एक ही परीक्षा का निर्णय लेकर अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी है।
प्रारम्भिक शिक्षा विभाग ने राजस्थान अध्यापक पात्रता परीक्षा (आरईईटी)-2015 के लिए आवेदन आमंत्रित किये हैं और परीक्षा की तिथि भी घोषित कर दी है।
राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि कई अभ्यर्थियों द्वारा इस भर्ती प्रक्रिया के विषय में कुछ मुद्दे उठाए गए हैं, जिनको लागू किया जाना सम्भव नहीं है। लेकिन इन मांगों को मानने से भर्ती प्रक्रिया में अनावश्यक विलम्ब होगा और न्यायिक विवाद बढ़ेगा।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) द्वारा पात्रता परीक्षा का पाठ्यक्रम निर्धारित करने के चलते आरईईटी-2015 परीक्षा में राजस्थान के सामान्य ज्ञान का प्रश्न-पत्र जोड़ने की अभ्यर्थियों की मांग पूरी नहीं की जा सकती।
इसी प्रकार भर्ती परीक्षा में अध्यापकों के लिए न्यूनतम योग्यता का निर्धारण भी एनसीटीई की गाइडलाइन्स के अनुसार किया गया है। इसलिए अध्यापक के लिए योग्यता को ‘स्नातक में न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक’ के प्रावधान के स्थान पर ‘स्नातक/ स्नातकोत्तर में न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक’ नहीं किया जा सकता।
वर्ष 2012 में पंचायती राज विभाग द्वारा आयोजित अध्यापक भर्ती प्रक्रिया के विषय में राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस प्रक्रिया में चयनित शिक्षकों का नियमितिकरण किए जाने की कार्यवाही पंचायती राज विभाग मे प्रक्रियाधीन है। साथ ही, इस विषय में राज्य सरकार की एक विशेष अनुमति याचिका सर्वोच्च न्यायालय में भी विचाराधीन है।
कुछ अभ्यर्थियों की यह मांग स्वीकार करने योग्य नहीं है कि अध्यापक पात्रता परीक्षा (आरटेट)-2011 व 2012 में सफल अभ्यर्थियों को आरईईटी-2015 में सम्मलित नहीं किया जाए।
इन अभ्यर्थियों के पात्रता प्रमाण पत्रों की वैधता 7 वर्ष तक है। प्राकृतिक न्याय के सिद्धान्त के अनुसार किसी अभ्यर्थी को किसी भी भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने से रोका नहीं जा सकता है। ऐसे किसी निर्णय से अनावश्यक न्यायिक विवाद बढ़ेगा।