नई दिल्ली। बीसीसीआई में लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों पर अमल के लिए सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि राज्य संघों को पिछले 18 जुलाई के आदेश के मुताबिक उनका हिस्सा मिलेगा। हिमाचल और महाराष्ट्र को राहत दी जाएगी।
सुनवाई के दौरान राज्य संघों ने इस बात पर आपत्ति जताई कि उनका पक्ष बिना सुने ही आदेश जारी कर दिया गया। उसके बाद कोर्ट ने अपना पुराना आदेश पढ़कर सुनाया।
बीसीसीआई प्रशासकों की तरफ से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई के रिव्यू पिटीशन को भी खारिज कर दिया था। जिस पर राज्य संघों की तरफ से कपिल सिब्बल ने कहा कि वे उसमें पक्षकार ही नहीं थे।
अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी इस मामले में विश्वविद्यालयों, सुरक्षा बलों और रेलवे का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनका पक्ष भी नहीं सुना गया। इस पर प्रशासकों की तरफ से कहा गया कि एएसजी मनिंदर सिंह कोर्ट में मौजूद थे।
तब रोहतगी ने कहा कि ऐसा संभव नहीं है कि मनिंदर कोर्ट में मौजूद हों और उन्होंने कुछ नहीं बोला हो। इस पर सुनवाई करने वाले जज हंसने लगे। जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि वे विश्वविद्यालयों, सुरक्षा बलों और रेलवे की शिकायतों को समझ रहे हैं।
सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने मुंबई के स्टेडियम्स के पूरे इतिहास और विजय मर्चेंट और वानखेड़े के योगदान को सुनाने लगे। कोर्ट ने पूछा कि पहले टेस्ट में राज्य संघ को पैसे क्यों नहीं दिए गए। तब प्रशासकों की तरफ से तुषार मेहता ने कहा कि परिपाटी के मुताबिक उन्हें सितंबर में पैसा मिल जाएगा।
कोर्ट ने कहा कि आपको समय पर पैसे दे देने चाहिए। कपिल सिब्बल ने कहा कि वे राज्य संघ एक बैठक करने जा रहे हैं और इस पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कोई रोक नहीं है। आपको बता दें कि राज्य क्रिकेट संघों की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अर्जी दायर कर सुप्रीम कोर्ट से राज्य क्रिकेट संघों के स्टेटस के बारे में सफाई मांगी थी।
सिब्बल ने कहा था कि आईसीसी की राजस्व साझेदारी पर एक बैठक होने वाली है जिसके लिए उन्हें सुप्रीम कोर्ट के फैसले के संबंध में कुछ सफाई चाहिए। कोर्ट ने उनकी अर्जी को स्वीकार करते हुए उन्हें याचिका दायर करने की अनुमति दे दी।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्ति प्रशासकों की कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राज्य संघ क्रिकेट सुधारों पर उसके आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं। प्रशासकों की ओर से वरिष्ठ वकील पराग त्रिपाठी ने कहा कि राज्य संघों की याचिका पर सुनवाई नहीं की जानी चाहिए।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने तीस जनवरी को पूर्व महालेखानिरीक्षक (कैग) विनोद राय को बीसीसीआई का मुख्य प्रशासक नियुक्त किया था।
प्रशासनिक समिति में इतिहासकार रामचंद्र गुहा, आईडीएफसी बैंक के विक्रम लिमये और भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान डायना एदुलजी को शामिल किया गया था। 2 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई के चेयरमैन अनुराग ठाकुर और सेक्रेटरी अजय शिर्के को हटा दिया था।