नई दिल्ली। उद्योगपति मुकेश अंबानी नीत रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की पिछले साल लांच की गई दूरसंचार सेवा इकाई रिलायंस जियो को चालू वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष के दौरान सस्ती सेवाएं देने के कारण कुल 311 अरब रुपए का नुकसान होने की संभावना है, हालांकि बाद में बाजार हिस्सेदारी बढऩे के साथ उसका नुकसान कम होगा और वित्त वर्ष 2021-22 तक वह मुनाफा कमाना शुरू कर सकती है।
ब्रॉकरेज तथा निवेश कंपनी सीएलएसए की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2017-18 में जियो को 196 अरब रुपए और 2018-19 में 115 अरब रुपये का नुकसान हो सकता है।
यदि वित्त वर्ष 2019-20 तक वह 30 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी और 809 अरब रुपए का राजस्व कमाने में सफल रहती है तो वह मुनाफे में आ जायेगी जबकि 22 फीसदी बाजार हिस्सेदारी और 600 अरब रुपए के राजस्व के साथ मुनाफा कमाने के लिए उसे 2021-22 तक का इंतजार करना होगा।
मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट में कहा गया है कि जियो वित्त वर्ष 2020-21 तक मुनाफा कमाने लगेगी। इसके बावजूद लगभग सभी बड़ी बाजार विश्लेषण एजेंसियों का कहना है कि कोर कारोबार के अच्छे प्रदर्शन के दम पर आरआईएल की राजस्व वृद्धि मजबूत रहेगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जियो के प्राइम ऑफर के लिए 7.2 करोड़ उपभोक्ता पंजीकरण करवा चुके हैं जो सीएलएसए के पहले के अनुमान से ज्यादा है। प्राइम ऑफर की अवधि 15 अप्रेल तक बढ़ा देने से उनकी संख्या आठ करोड़ को छू सकती है और अगले साल मार्च तक उपभोक्ताओं की संख्या 10 करोड़ पर पहुंच सकती है। हालांकि, इसमें ‘समरÓ ऑफर के तहत तीन महीने और नि:शुल्क सेवा देने से कंपनी की आमदनी शुरू होने में एक तिमाही का समय और लगेगा।
कुछ विश्लेषक इसे ‘नि:शुल्क से 303 रुपए प्रतिमाहÓ के सफर को आसान बनाने का प्रयास बता रहे हैं। हालांकि, क्रेडिट सुइस की रिपोर्ट के अनुसार इस समय देश में मोबाइल सेवाओं पर 300 रुपये प्रतिमाह से ज्यादा का खर्च करने वाले ग्राहकों की संख्या 12 करोड़ से कम है।
क्रेडिट सूइस का कहना है कि जियो धीरे-धीरे अपने शुल्क और बढ़ाएगा तथा 303 रुपए में 28 जीबी डाटा का ऑफर उसी प्रयास का एक हिस्सा है। उसने कहा है कि धीरे-धीरे दरें बढ़ाने का उद्देश्य अधिक से अधिक ग्राहक आधार बनाए रखना है। इसी प्रयास के तहत प्राइम ग्राहकों को तीन महीने अतिरिक्त नि:शुल्क सेवा दी जा रही है।