हे नाथ तुम वास्तव मे परमात्मा हो। आपने निर्जीव पत्थरों में श्रद्धा और आस्था की आत्मा डाल उसे जगत मे पूजवा दिया। इसी आस्था ने देव दानव ओर मानव सभी को भक्ति के मार्ग पर चला दिया। आस्था से पूजित ये निर्जीव पत्थर भगवान् कहलाए।
जीव को एक शरीर देकर उसमे आत्मा डाल कर उससे अनेकानेक कर्म करवाए ओर उसे जन्म मृत्यु के बन्धन में डाल कर मोक्ष के द्वार बंद करवाए।
हे नाथ संसार के सभी सजीवों में तू ही बैठा है फिर भी तू अलग अलग क्यों दिखता है। डाली फूल और इस जगत के अन्दर तू ही तू बैठा है फिर भी तेरे अलग अलग रूप क्यों दिखाई देते हैं। इसका भेद बता मेरे दाता तू सकाम कर्म करवाता क्यो है।
राजा में राजा बन बैठा ओर भिखारी में भी तेरा ही अंश है। हाथी में हाथी बन बैठा ओर चीटीं में ही तेरी ही आत्मा डाली हुई है। साहूकार मे साहूकार है और चोरों की आत्मा में भी तू है तथा चोरी करके भागने वाला भी तू है तो चोर को पकडने वाला भी तू ही है।
हे प्रभु नर और नारी में तू ही बैठा है आत्मा बन कर फिर भी तू हमें अलग अलग रूप में क्यों दिखाई देता है। हे प्रभु इसका भेद बता ताकि हमारे मन से अज्ञानता का पर्दा हट जाए। इस संसार मे बिना बीज का हम एक पेड़ देखते हैं और समय बीतता जाता है तो इसी वृक्ष का फल हम तोड कर खा जाते हैं।
बडी विचित्र घटना घटी एक बार। एक राजकुमार अपने कुछ सैनिकों सहित जंगल मे आखेट के लिए गया। जंगल में एक सुंदर वन आया उसका नाम शक्ति वन था। जैसे ही वह राजकुमार उस वन मे घुसा तो वह आदमी से ओरत बन गया। वह सोचता ही रह गया लेकिन आदमी नहीं वन पाया।
वन में घूमते घूमते उसे चन्द्रमा का पुत्र युवराज बुध नजर आया। बुध ने अकेली सुन्दर युवती देख उससे विवाह कर लिया ओर उसके एक पुत्र पैदा हुआ। उस का नाम पुरुरवा था जिसकी उर्वशी के साथ ऐतिहासिक प्रेम कहानी थी।
आदमी से औरत बना राजकुमार भगवान् शिव की पूजा करने लगा। शंकर बोले इस वन को मैने ही श्राप दिया है। पार्वती और में यहा रमण जब कर रहे थे तब कुछ ऋषि हमारे दर्शनार्थ आए लेकिन पार्वती एक दम लजा गई तब मैंने श्राप दिया कि इस वन में जो भी आदमी प्रवेश करेगा वह तुरंत औरत बन जाएगा। अब मैं तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हूं अभी से तुम औरत से आदमी बन जाओगे।
जैसे राजकुमार आदमी से औरत बना? वैसे ही हम एक ही आत्मा को दो रूपों में देख कर मोह माया में फंस कर साबुत करनी कर जन्म मृत्यु के बन्धन में पड जाते हैं।