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भारत में धार्मिक जनसांख्यिकी असंतुलन पुस्तक का विमोचन - Sabguru News
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भारत में धार्मिक जनसांख्यिकी असंतुलन पुस्तक का विमोचन

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भारत में धार्मिक जनसांख्यिकी असंतुलन पुस्तक का विमोचन

जयपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय संस्कृति समन्वय संस्थान जयपुर एवं मानसरोवर स्थित संस्कृति कॉलेज द्धारा सांस्कृतिक प्रवाह शोध पत्रिका विशेषांक ‘भारत में धार्मिक जनसांख्यिकी असंतुलन‘ का विमोचन सामारोह का आयोजन संस्कृति कॉलेज सभागार में किया गया।

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता आरएसएस के सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल, मुख्य उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी, शोध पत्रिका के संरक्षक रामप्रसाद, शोध पत्रिका के मुख्य सम्पादक रामस्वरूप अग्रवाल एवं सेंट विल्फ्रेड एजुकेशन सोसायटी के मानद सचिव डॉ. केशव बड़ाया की गरिमामय उपस्थिति रही। विमोचन सामारोह कार्यक्रम की अध्यक्षता मोहनलाल सुखाडिया यूनिवर्सिटी उदयपुर के कुलपति मोहनलाल ने की।

कार्यक्रम की शुरूआत में सांस्कृतिक प्रवाह शोध पत्रिका विशेषांक के विमोचन सामारोह के पश्चात प्रेमलता स्वर्णकार ने मुस्लिम जनसंख्या वृद्धि पर अपना शोध प्रस्तुत किया। शोध पत्रिका के संरक्षक रामप्रसाद ने धर्म जागरण समन्वय के कार्यकलापों पर विस्तृत जानकारी दी साथ ही धर्मान्तरण मतान्तरण तथा अलगाववाद के प्रति चिंता जाहिर की।

उन्होंने सीमा पार से हो रही घुसपैठ की समस्या के समाधान की कार्य योजना पर बल दिया। उन्होंने देशवासियों का आहवान किया कि वे आगे आएं और भारत को एक मजबूत राष्ट्र बनाने में सहयोग करें।

मुख्य अतिथि किरण माहेश्वरी ने देश विरोधी नारे लगाने की बढती घटनाओं पर चिंता जाहिर करते हुए सभी से भावनात्मक प्रेम और परस्पर स्नेह बनाने रखने का अनुरोध किया। उन्होंने देश के विकास, अखंडता एवं भारत की सांस्कृतिक परंपरा को बढावा देने पर बल दिया।

मुख्य वक्ता डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि जो भारतीय मत-संप्रदाय (कबीरपंथी- दादुपंथी – रामानंदी आदि) हैं उनमें कोई टकराव नहीं है और उनसे कोई खतरा भी नहीं। लेकिन जो बाहर से धर्म (इस्लाम-ईसाई) भारत में आए वे दूसरे धर्म संप्रदायों को हेय व त्याज्य मानते हैं व उन्हें मिटा देना चाहतें है जो कि खतरनाक है।

दो ऐसे धर्म जिनकी जंनसख्या बढने पर चिंता होती है, आजादी के पश्चात इंदिरा गांधी नें भी धर्मान्तरण पर गंभीर चिंता करी थी। अन्य मत सभी मतों का सम्मान करते हैं। प्रत्येक मत समुदाय में सांमजस्य के स्थापना की कोशिशष करता है जो ऐसा नहीं करता वो अभारतीय है।

गौरतलब है कि आज हिन्दुस्तान में अधिकतम मुस्लिम-ईसाई के वंशज हिन्दु थे, यदि इन लोगों को अपने पूर्वजों की जानकारी प्राप्त हो जाए तो वे पुनः हिन्दु धर्म के प्रति जागृत हो जाएंगे।

समाज में जागरूकता की कमी के कारण भारत का आकार निरन्तर कम होता जा रहा है जैसे बांग्लादेश, नेपाल, बर्मा, अफगानिस्तान, पाकिस्तान एवं कश्मीर और चीन का अवैध रूप से कब्जा करने पर गहन चिंता जाहिर की क्योंकि इन्हीं सभी कारणों से पूरे भारत देश में आंतकवाद और अलगाववाद जहर बनकर उभर रहा है।

भारतीय मूल के धर्मावलम्बियों की आबादी में वृद्धि दर पर प्रकाश डालते हुए बताया कि किसी समुदाय की आबादी में असामान्य वृद्धि से कोई फर्क नहीं पडता। लेकिन मुस्लिम-ईसाई जनसंख्या वृद्धि दर का यह अंतर भारत के भविष्य को प्रभावित करेगा।

सेंट विल्फ्रेड एजुकेशन सोसायटी के मानद सचिव डॉ. केशव बड़ाया ने कहा कि हमें सभी धर्मो का आदर करते हुए आज समय की मांग हो गई है कि भारत की अखण्डता और एकता के प्रति हम सभी को जागरूक होना होगा। आज चाहे हिन्दु हों या मुस्लिम-ईसाई सभी को भाईचारे के साथ आगे आकर एक दूसरे को गले लगाकर हिन्दुत्व एवं देशप्रेम की भावना रखनी होगी।