जबलपुर। जबलपुर हाईकोर्ट ने शनिवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। शासकीय विभागों में आरक्षण पर प्रमोशन दिए जाने संबंधी प्रावधान को अवैध करार दिया है। कोर्ट ने कहा आरक्षण सिर्फ नियुक्ति पर दिया जाएगा। अब आरक्षण ने पदोन्नति नहीं होगी।
साथ ही हाईकोर्ट ने वर्ष 2002 के बाद के सभी पदोन्नतियों में आरक्षण खत्म कर दिया है। पिछले दिनों प्रमोशन में आरक्षण संबंधी याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश अजय माणिकराव खानविलकर की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने शनिवार को यह फैसला सुनाया।
हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए कहा कि नियुक्तियों के दौरान वंचित वर्गों को आरक्षण मिलना सही है, परन्तु प्रमोशन में आरक्षण दिए जाने से योग्य लोगों में नाकारात्मक भाव आता है। इसलिए पदोन्नति प्रक्रिया में सामान्य वर्ग को पीछे रखना किसी भी कोण से न्यायोचित नहीं माना जा सकता।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट के इस फैसले से प्रदेश के करीब 20 हजार से अधिक कर्मचारियों पर असर पड़ेगा। और लगभग इतने ही अधिकारियों को झटका लग सकता है। मामले में दायर याचिकाओं पर पिछले महीने 31 मार्च और 1 अप्रेल को करीब 3 घंटे तक सुनवाई हुई थी।
दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित रखा था। प्रदेश के कई कर्मचारी व सामाजिक संगठनों और अधिकारियों ने प्रमोशन में आरक्षण को चुनौती देते हुए याचिकाएं दायर की थी। कुछ में राज्य के पदोन्नति नियम 2002 को चुनौती दी गई थी।