मुंबई। रिजर्व बैंक ने मानसून पर अल नीनो के प्रभाव की आशंकओं तथा वस्तु एवं सेवा कर जीएसटी का एकबारगी प्रभाव की संभावना के कारण चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 5 प्रतिशत होने का गुरुवार को अनुमान जताया है।
रिजर्व बैंक की आज जारी 2017-18 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के अनुसार मुद्रास्फीति चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 4.5 प्रतिशत तथा दूसरी छमाही में 5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि मुद्रास्फीति के रूख को लेकर फिलहाल जोखिम दोनों तरफ से बराबर-बराबर है और इसके उपर जाने का जोखिम है।
लगातार तीसरी बार प्रमुख नीतिगत दर को यथावत रखते हुए केंद्रीय बैंक ने कहा कि मुख्य अनिश्चितता प्रमुख कारण जुलाई-अगस्त के आसपास अल नीनो के के कारण दक्षिण पश्चिम मानसून पर पडऩे वाला प्रभाव और इसका खाद्य मुद्रास्फीति पर असर है। उसने कहा कि बेहतर आपूर्ति प्रबंधन मुख्य मुद्रास्फीति पर दबाव को कम करने में मददगार होगा।
आरबीआई ने कहा कि एक प्रमुख जोखिम सातवें वेतन आयोग की भत्तों की सिफारिशों के क्रियान्वयन के प्रबंधन से जुड़ा है।
उसने कहा कि अगर सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार आवास भत्ता में वृद्धि की जाती है, इससे मुद्रास्फीति अनुमान से 12 से 18 महीने में 1.0 से 1.5 प्रतिशत बढ़ सकती है।
मुद्रास्फीति में एकबारगी वृद्धि का जोखिम जीएसटी से भी है। नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था एक जुलाई से क्रियान्वित होने की उम्मीद है।
मुद्रास्फीति के नीचे जाने के बारे में आरबीआई ने कहा कि हाल में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में नरमी आयी है और उसका लाभ घरेलू बाजार में पेट्रोलियम उत्पादों को मिलने से मुख्य मुद्रास्फीति पर दबाव कम होना चाहिए।
साथ ही अनाज के रिकार्ड उत्पादन के मद्देनजर अगर खरीद गतिविधियां बढ़ती हैं तो बफर स्टाक का पुनर्निर्माण होगा और खाद्य वस्तुओं की कीमतों पर दबाव कम होगा।
उल्लेखनीय है कि लगातार छह महीने तक गिरावट के बाद उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में बढ़कर 3.7 प्रतिशत हो गई।
यह भी पढें
गैजेट्स, मोबाइल संसार संबंधी न्यूज के लिए यहां क्लीक करें
कार मार्केट, नई कार, बाइक के बारे में यहां क्लीक कर जानें
नौकरी और रिजल्ट के लिए यहां क्लीक करें
अजब गजब व रोचक खबरों के लिए यहां क्लीक करें