मुम्बई। महाराष्ट्र में डॉक्टरों के साथ होने वाली मारपीट के विरोध में गत पांच दिनों से हड़ताल पर रहे डॉक्टर शनिवार की सुबह काम पर लौट आए हैं। डॉक्टरों के साथ होने वाली मारपीट के विरोध में मार्ड ने काम बंद आंदोलन शुरू किया था। हाईकोर्ट की फटकार व सरकार की सख्ती के चलते डॉक्टर काम पर लौटे हैं।
गौरतलब है कि डॉक्टरों ने अपने साथ होने वाली मारपीट के विरोध में सोमवार से काम बंद आंदोलन करते हुए हड़ताल पर चले गए थे। इस दौरान हाईकोर्ट ने हड़ताली डॉक्टरों को जमकर फटकारा था, पर इस फटकार का जब डॉक्टरों पर कोई असर नहीं हुआ तो शुक्रवार को पुन: हाईकोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि शनिवार की सुबह से काम पर आ जाओ, नहीं तो राज्य सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी।
इसी तरह सरकार ने भी हड़ताली डॉक्टरों पर जब सख्ती दिखाई तो शनिवार की सुबह से ही हड़ताली डॉक्टर काम पर लौट आए। काम पर लौटने के पूर्व मार्ड ने हाईकोर्ट में प्रतिज्ञापत्र देते हुए कहा था कि हड़ताली डॉक्टर शनिवार की सुबह से काम पर हाजिर हो जाएंगे।
मार्ड ने हड़ताली डॉक्टरों से आह्वान करते हुए कहा कि जो डॉक्टर काम पर नहीं लौटेंगे, उनके खिलाफ राज्य सरकार या मनपा प्रशासन कार्रवाई कर सकती है।
दिल्ली के ज्यादातर अस्पतालों के डॉक्टर काम पर लौटे
मुंबई के डॉक्टरों की पांच दिनों से चल रही हड़ताल खत्म होने के साथ दिल्ली के डॉक्टर भी सुचारु रुप से काम पर लौट आए हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने स्वास्थ्य मंत्री के आश्वासन के बाद अपनी ओर से विरोध प्रदर्शन खत्म करने का एलान किया था जिसके साथ ही दिल्ली के लगभग सभी अस्पतालों में शनिवार को डॉक्टरों ने सुबह से काम शुरू कर दिया।
हालांकि दिल्ली के कई बड़े अस्पतालों में डॉक्टर शुक्रवार को ही काम पर लौट आए थे तो कुछ डॉक्टरों ने हाथों पर काली पट्टी बांध कर इलाज किया था। गौरतलब है कि शुक्रवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस के साथ बैठक के बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने हड़ताल खत्म करने का फैसला लिया था।
इससे पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फड़णवीस से इस मामले पर बात की थी और इस मामले पर गम्भीरता बरतने की बात कही थी। काम पर लौटे दिल्ली के डॉक्टरों का कहना है कि तिमारदारों द्वारा डॉक्टरों पर हमले के चलते उनको आये दिन बेइज्जत होना पड़ता है।
उनकी मांग है कि डॉक्टर्स प्रोटेक्शन एक्ट के तहत और मजबूत कर अपराधियों को कड़ी सजा का प्रावधान किया जाये। इतना ही नहीं आरोपियों के लिए इस एक्ट के तहत कम से कम 3 महीने तक बेल न मिलने का प्रावधान एक्ट में किया जाए।
डॉक्टरों पर किए जाने वाले हमलों के वक्त ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी को सस्पेंड किया जाए और कानून लागू करने और उसके प्रति लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए सरकार एक अलग फंड भी बनाएं।