चंडीगढ़। सुप्रीमकोर्ट के एक रिटायर्ड जज रॉबर्ट वाड्रा से जुड़े लाखों रुपए के विवादित जमीन सौदा मामले सहित राज्य में पिछले 10 सालों में कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान हुई सभी अनियमितताओं की जांच करेंगे।
हरियाणा के शिक्षा मंत्री राम बिलास शर्मा ने बताया कि सेवानिवृत्त जज को कांग्रेस के पिछले 10 सालों के कार्यकाल के दौरान हुई अनियमितता, विशेषकर जमीन सौदे से जुड़े मामले की जांच सौंपी गई है।
जांच की घोषणा ऐसे समय में की गई है, जब कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संसद में लाए गए भूमि अधिग्रहण विधेयक पर कड़ा रुख अख्तियार कर रखा है। कांग्रेस कह रही है कि भूमि अधिग्रहण विधेयक किसानों के हित में नहीं है।
शर्मा ने कहा कि जमीन सौदे सहित सभी अनियमितताओं की जांच की जाएगी। 15 मई को आयोग अधिसूचना जारी करेगा। मंत्री ने कहा कि अक्टूबर में सत्ता में आई भाजपा सरकार को कांग्रेस शासन के दौरान हुई कई अनियमितताओं की शिकायतें मिली हैं।
हरियाणा में मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौरान पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद वाड्रा पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में सस्ती दरों पर जमीन खरीद कर ऊंची दरों पर बेचने का आरोप है।
गुडग़ांव जिले में वाड्रा की कंपनी ने रियल्टी कंपनी डीएलएफ के साथ जमीन का एक सौदा 58 करोड़ रुपए में किया था। मार्च में भाजपा ने कांग्रेस पर यह कह कर निशाना साधा था कि हरियाणा में हुड्डा सरकार के दौरान जमीन सौदे के मामले में भारी घोटाला हुआ है।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने हुड्डा सरकार पर वाड्रा का पक्ष लेने का आरोप लगाया था, जिन्हें विवादित जमीन सौदे से लाखों की कमाई हुई है। कैग के इस दावे के बाद वाड्रा पर आरोप लगाए गए हैं।
वाड्रा और डीएलएफ के बीच हुए सौदे को रद्द करने वाले हरियाणा कैडर के आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने आरोप लगाया था कि कैग रपट में उन्हें दोषमुक्त करार दिया गया है। हरियाणा विधानसभा में मार्च में कैग की रपट पेश की गई थी, जिसमें हुड्डा सरकार पर वाड्रा का अनुचित पक्ष लेने की बात कही गई है।