नयी दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद केंद्र सरकार ने बुधवार को बंद लिफाफे में 627 लोगों की सूची कोर्ट में पेश कर दी है जिनका पैसा विदेशी बैंकों में जमा है। अटोर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में सूची पेश करने के बाद बताया कि सरकार किसी भी व्यक्ति का नाम छिपना नहीं चाहती है। सरकार की मंशा सिर्फ संधियों के प्रभावित नहीं होने को लेकर थी।…
रोहतगी ने आशा जताई कि एस आई टी सरकार की चिंताओं का ख्याल रखेगी। इधर सूची मिलते ही सुप्रीम कोर्ट ने इसे एस आई टी को सौंप दी। न्यायलय ने एस आई टी को 30 नवम्बर तक इस सूची में शामिल लोगों की जांच के सम्बन्ध में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार विदेशी बैंकों से मिले नामों का खुलासा संधि उलन्घन का हवाला देते हुए नहीं कर रही थी। शनिवार को न्यायलय में भी यही दलील दी गयी जिसे न्यायलय ने ठुकरा दिया और बुधवार को नामों की सूची को सुप्रीम कोर्ट को सौंपी।
सौंपे 3 लिफाफे
सरकार के अटोर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कोर्ट के समक्ष तीन सीलबंद लिफाफे सौंपे। इसमें एक सीलबंद लिफाफे में उन 627 लोगों के नाम हैं जो सरकार के पास आये हुए हैं। दूसरे लिफाफे में विभिन्न देशों के साथ भारत की और से की गयी संधियों के दस्तावेज हैं। वहीँ तीसरे लिफाफे में इस सूची के सम्बन्ध केंद्र सरकार की और से अब तक की गयी जांच की स्टेटस रिपोर्ट है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस सम्बन्ध में केंद्र सरकार की संधि के बारे में चिंताओं को ध्यान में रखते हुए इन लिफाफों को सीधे ही एस आई टी को सौंप दिए जिसे उसके चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन ही खोल पायेंगे। इधर शिवसेना के मुखपत्र सामना ने केंद्र सरकार को काला धन के मुद्दे पर मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए उसने लिखा की ये कवायद खोदा पहाड़ निकली चुहिया जैसी लगाती है। जिस तरह से चुनाव के दौरान काले धन के मुद्दे पर शोर मचाया गया था, वैसा कुछ नहीं किया गया।
अगली पेशी 3 दिसम्बर को
सुप्रीम कोर्ट ने एस आई टी को नवम्बर में स्टेटस रिपोर्ट पेश करनी होगी। इसकी अगली सुनवाई 3 दिसम्बर को होगी। इधर केंद्र सरकार ने भी मार्च 2015 तक इस मामले में जांच की तिथि निर्धारित की थी।
भारत पांचवे नम्बर पर
वर्ष 2011 में ग्लोबल फ़िनेन्सीअल इंटीग्रिटी रिपोर्ट के अनुसार भारत विदेशी बैंकों में काला धन जमा करवाने वाले देशों की सूची में विश्व में पांचवे स्थान पर आता है। रिपोर्ट के अनुसार 11 लाख करोड़ रूपये काला धन के रूप में विदेशी बैंकों में जमा है। रिपोर्ट के अनुसार अकेले 2011 में ही 5.28 लाख करोड़ रुपया जमा हुआ है।