न्यूयॉर्क। दुनिया में गैंडों की संख्या तेजी से घट रही है। इसकी मुख्य वजह बाजार में गैंडे की सींगों की कीमत सोने और हीरे से भी तेज होना है।
एक नए शोध में बताया गया कि शिकारियों को सींगों की बढ़ी-चढ़ी कीमत मिलती है, जिस कारण दुनिया का सबसे बड़ा शाकाहारी जानवर लुप्तप्राय होता जा रहा है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि हाथियों की प्रजातियों, गैंडों, दरियाई घोड़ों और गोरिल्ला सहित दुनिया के बड़े शाकाहारी जानवर विलुप्त होने की कगार पर हैं क्योंकि उपभोक्ता वस्तुओं और खाद्य वस्तुओं के लिए इन पशुओं के शरीर के भाग बेच कर शिकारियों को जबरदस्त वित्तीय लाभ मिलता है।
अमरीका की ओरिगन स्टेट यूनिवर्सिटी में पारिस्थितिकी के प्रोफेसर और अध्ययन के शीर्ष लेखक विलियम रिपल ने बताया कि उदाहरण के लिए गैंडे के सींग तौल के हिसाब से सोने और हीरे यहां तक कि कोकीन से भी महंगे होते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि 2002 से 2011 के बीच जंगली हाथियों की संख्या में 62 फीसदी कमी आई है।
साल 2007 से 2013 के बीच गैंडे के शिकार में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। इस तरह के मामले 13 प्रतिवर्ष से बढ़कर 1,004 प्रतिवर्ष हो गई है।
शिकारियों ने 2010 से 2012 के बीस 1,00,000 से अधिक जंगली सवाना हाथियों का शिकार किया, जो कि दुनियाभर के जंगली सवाना हाथियों की आबादी का पांचवां हिस्सा है।
अमरीका के लॉस एंजेलिस के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में पारिस्थितिकी और विकासवादी जीव विज्ञान के प्रोफेसर और अध्ययन के सह-लेखक ब्लायर वान वाल्केनबर्ग ने बताया कि अगर ऐसा चलता रहा, तो 10 सालों में सवाना हाथी बहुत कम बचेंगे या विलुप्त ही हो जाएंगे और 20 सालों में अफ्रीकी गैंडे नहीं बचेंगे।
वैज्ञानिकों ने शाकाहारी जानवरों की 74 प्रजातियों का अध्ययन किया। ‘साइंस एडवांसेस’ जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में बताया गया कि उग्र सुधारवादी हस्तक्षेप के अभाव में बड़े शाकाहारियों (और बहुत से छोटे शाकाहारी) विभिन्न क्षेत्रों से लुप्त होते रहेंगे।