हैदराबाद। केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड सीबीएफसी में सुधार पर बेनेगल समिति ने अपनी हालिया रिपोर्ट में बुनियादी रुख अपनाते हुए कहा है कि किसी फिल्म के ‘दृश्य को काटने’ का अधिकार उसे बोर्ड को नहीं होना चाहिए, बल्कि यह अधिकार उस व्यक्ति को दी जानी चाहिए जिसने फिल्म बनाई हो।
दिग्गज फिल्मकार श्याम बेनेगल ने हैदराबाद में कहा कि ऐसे दो आधार हैं जिस पर हमारी समिति ने काम करने का फैसला किया है, एक मूल रूप से यह कहना कि किसी के रचनात्मक काम में दखल देने का सरकार को कोई अधिकार नहीं है।
अगर कोई बदलाव किया जाता है और अगर फिल्म के किसी हिस्से पर फैसला किया जाता है… तो यह अधिकार सिर्फ उसी व्यक्ति को होना चाहिए जिसने फिल्म बनाई है। उसके सिवा किसी और शख्स को यह अधिकार नहीं होना चाहिए।
सेंसर बोर्ड में सुधार के लिए बनाई गई समिति की अध्यक्षता करने वाले बेनेगल ने कहा कि रिपोर्ट सरकार को भेज दी गई है और इसका पहला हिस्सा अप्रेल में भेजा गया था और दूसरा हिस्सा जून में भेजा गया था। बहरहाल, सरकार को अब तक इस विषय पर अपना दृष्टिकोण बताना बाकी है।
उन्होंने कहा कि अगर ‘सिनेमैटोग्राफी अधिनियम 1952’ में संशोधन की जरूरत पड़ी तो इसे संसद में जरूर भेजा जाना चाहिए।