चेन्नई। लाखों गमगीन लोगों के बीच तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता को यहां पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई।
चेन्नई के मरीना बीच पर जयललिता के राजनीतिक गुरु एमजीआर की समाधि के पास ही जयललिता के ताबूत को विधि के साथ जमीन में उतारा गया। बाद में इसी स्थान पर जयललिता की भी समाधि बनाये जाने की योजना है।
शाम छह बजे के करीब जयललिता को दफनाए जाने के ठीक पहले उनकी मित्र शशिकला और उनके भतीजे वीएन सुधाकरन ने धार्मिक रस्म पूरी की। वीएन सुधाकरण को गोद लेकर जयललिता ने ही समारोह पूर्वक उनका विवाह कराया था।
जयललिता के अंतिम संस्कार के पहले राजाजी हॉल से जयललिता की अंतिम यात्रा शुरू हुई। अपने नेता के अंतिम दर्शन के लिए मंगलवार जल्दी सुबह से ही लोगों का राजाजी हॉल में तांता लगा रहा।
फिर जब अंतिम यात्रा शुरू हुई, गन कैरेज के पीछे लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। राजाजी हॉल में पार्थिव शरीर का अंतिम दर्शन करने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, एचडी देवेगौड़ा सहित कई प्रमुख नेता भी पहुंचे।
जयललिता को श्रद्धांजलि अर्पित करते समय पीएम नरेंद्र मोदी भावुक हो उठे। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी जयललिता के अंतिम दर्शन के लिए दिल्ली से रवाना हुए। हालांकि विमान में तकनीकी खराबी की वजह से उन्हें दिल्ली लौटना पड़ा। बाद में मुखर्जी ने पहुंचकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
तमिलनाडु में अम्मा के नाम से पहचान रखने वाली जयललिता का पार्थिव शरीर लोगों के अंतिम दर्शन के लिए उनके पोएश गार्डन स्थित आवास के बगल में राजाजी हॉल में रखा गया था।
प्रधानमंत्री के अलावा जिन प्रमुख लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी, उनमें कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी व वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, तमिल सुपरस्टार रजनीकांत भी शामिल हैं। जयललिता के निधन पर देश के सभी प्रमुख नेताओं ने शोक प्रकट किया है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने जयललिता के गरीबों और महिलाओं के प्रति दिए उनके योगदान को याद किया।
जयललिता के निधन पर एक दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गई थी। इस कारण पूरे देश में राष्ट्रध्वज आधा नीचे कर दिया गया। तमिलनाडु सरकार ने जयललिता के निधन पर सात दिनों के राजकीय शोक व स्कूल कालेजों में तीन दिनों की छुट्टी का एलान किया है।
केरल और बिहार सरकार ने भी एक-एक दिन का शोक घोषित किया है। मेघालय सरकार ने भी तीन दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा के है। असम गण परिषद ने तीन दिन का शोक मनाने का फैसला किया है।