मुंबई। तबीयत ठीक न होने पर भी धर्मेंद्र पिछले दो दिनों से टीवी के आगे थे और लगातार न्यूज देख रहे थे। उनको भरोसा था कि उनके साथ फिल्म में काम कर चुकी जयाललिता फिर से ठीक हो जाएंगी।
सोमवार रात जब जयललिता के निधन की खबर आई तो धर्मेंद्र मायूस हो गए। बताया जाता है कि वे काफी समय पर असहज रहे और काफी समय तक सो भी नहीं सके। धर्मेंद्र बॉलीवुड के अकेले अभिनेता थे, जिनको जयाललिता के साथ फिल्म में काम करने का मौका मिला था।
1968 में साउथ के दिग्गज निर्देशक टी प्रकाश राव ने तमिल में बनी फिल्म को हिंदी में रीमेक करने का फैसला किया था, तो इसमें जयललिता को बॉलीवुड में इंट्रोड्यूज करने का फैसला किया गया। इज्जत नाम से बनी इस फिल्म में धर्मेंद्र को डबल रोल में कास्ट किया गया था।
एक रोल में उनकी हीरोइन तनूजा (काजोल की मां) और दूसरे रोल में उनके साथ जयाललिता को कास्ट किया गया। दिलचस्प बात ये थी कि आम तौर पर निजी जिंदगी में बेहद शांत रहने वाली जयाललिता ने इस फिल्म में एक चुलबुली आदिवासी लड़की का रोल निभाया था।
इस फिल्म में जयाललिता पर एक गाना भी फिल्माया गया था, जो काफी हिट हुआ था। लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा संगीतबद्ध इस गाने में वे अपने हीरो धर्मेंद्र को रिझाती नजर आती हैं। लता मंगेशकर की आवाज में कंपोज इस गाने- रुक जा जरा, किधर को चला…. गाने को उस दौर में काफी लोकप्रियता मिली थी।
बॉक्स ऑफिस पर इस फिल्म को बहुत बड़ी कामयाबी नहीं मिली थी और इसी एक फिल्म के साथ जयाललिता ने फिर कभी किसी हिंदी फिल्म में काम नहीं किया। जयाललिता को याद करते हुए धर्मेंद्र कहती हैं कि वे स्वाभाव से काफी शर्मिली थीं और कम बोलना पसंद करती थी।
धर्मेंद्र आगे कहते हैं कि वे हमेशा सेट पर जल्दी आती थी और अपने रोल की तैयारी में लग जाती थी, लेकिन एक बार कैमरे के सामने आते ही वे सीन की जरुरत के मुताबिक ढल जाया करती थीं।
वे कहते हैं कि जया के साथ रीटेक ज्यादा नहीं होते थे। कभी किसी सीन को लेकर अगर उनको कोई दिक्कत होती थी, तो वे निर्देशक साहब से बात कर लिया करती थी, लेकिन सामान्य तौर पर वे निर्देशक के कहे अनुसार ही काम किया करती थी।
जैसे ही पैकअप के साथ शूटिंग खत्म होती थी, तो जयाललिता ज्यादा नहीं रुकती थीं और अपने घर के लिए निकल जाया करती थीं। मेरे साथ उनके रिश्ते सहज रहे। मैं इस फिल्म के बाद जब भी मद्रास जाता था, तो कई बार स्टूडियो में उनके साथ मुलाकात हो जाती थी। हम फोन पर भी बात कर लिया करते थे।
कई बार मद्रास में उन्होंने घर पर भी मुझे बुलाया और मुंबई में वे एक बार मेरे घर पर भी आईं। धर्मेंद्र थोड़ा भावुक होकर कहते हैं कि आज मेरे सामने वे सारे दिन एक फिल्म की तरह आ-जा रहे हैं, जब मैंने उनके साथ काम किया और फिल्म के बाद उनके साथ बातें की।
जल्दी से विश्वास नहीं होता कि अब वे हमारे बीच नहीं रहीं। जब मुझे उनके बीमार होने की खबर मिली, तो मैं दुआ करने लगा कि वे जल्दी से सही हो जाएं। अब वे हमारे बीच नहीं रहीं हैं और मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उनकी दिवंगत आत्मा को शांति दे।