नई दिल्ली/उज्जैन। प्रमुख ज्योर्तिलिंगों में से एक मध्यप्रदेश के उज्जैन के महाकाल की शिवलिंग के क्षरण ने सभी को चिंता में डाल दिया था।
महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति ने एक कार्ययोजना बनाकर शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय में पेश कर बताया है कि अब महाकाल को आरओ जल से स्नान कराया जाएगा। श्रद्धालु अधिकतम 500 मिली लीटर (आधा लीटर) जल से ही महाकाल का अभिषेक कर सकेंगे।
महाकालेश्वर प्रबंध समिति से जुड़े एक पदाधिकारी ने बताया कि महाकाल के क्षरण को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर हुई थी। उसके बाद न्यायालय के द्वारा गठित विशेशज्ञों का दल आया भी। उसके बाद मंदिर समिति ने क्षरण को रोकने के लिए आठ निर्णय लिए जिसे सुनवाई के दौरान शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
मंदिर समिति की सहायक प्रशासनिक अधिकारी प्रीति चौहान ने संवाददाताओं को बताया कि न्यायालय के सभी निर्देश उन तक नहीं आए हैं, मगर शिवलिंग के स्नान के लिए आरओ जल का जिक्र है। इस दिशा में पहल की जाएगी। फिलहाल एक आरओ प्लांट है, जिसका श्रद्धालु उपयोग करते हैं, अभी उसी से अभिषेक के लिए जल दिया जाएगा। जल्दी ही एक और प्लांट लगाया जाएगा।
सूत्रों का कहना है कि विशेषज्ञों ने जलाभिषेक में प्रयुक्त होने वाले जल और पंचामृत की सामग्री सहित अन्य पूजन में उपयोग होने वाली वस्तुओं से शिवलिंग का क्षरण हो रहा है।
मंदिर समिति ने न्यायालय को बताया कि भस्मारती के समय शिवलिंग को आधा नहीं, सूती कपड़े से पूरा ढका जाए, सवा लीटर से ज्यादा पंचामृत न चढ़ाया जाए, इसमें शक्कर का इस्तेमाल बिलकुल नहीं होना चाहिए, शाम को पांच बजे के बाद जलाभिषेक नहीं होगा। इसके अलावा गर्भगृह में सामान्य तापमान तय करने के इंतजाम किया जाए।
न्यायालय ने विशेशज्ञों के दल और मंदिर प्रबंध समिति के सुझावों को सराहा है और उस पर अपनी सहमति भी जताई है।