लखनऊ। उत्तराखंड के देहरादून तथा ऋषिकेश में सफल ऑपरेशन करने के बाद अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में पहली बार रोबोटिक सर्जरी की जाएगी। यह सुविधा पहले बड़े-बड़े शहरों तक ही सीमित थी।
बीते एक साल में भारत के अस्पतालों में दा विंची सर्जिकल रोबोट की तैनाती में 50 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है। इसके वितरक वाट्टिकुटी प्रौद्योगिकी ने सर्जनों व अस्पताल प्रशासनों को कम्प्यूटर की सहायता से सर्जरी से रूबरू कराने के लिए रोडशो की एक महत्वाकांक्षी विस्तार योजना की शुरुआत की है।
इसकी सहायता से यूरोलॉजी, गाइनेकोलॉजी, थोरैसिक, पीडियाट्रिक, सिर तथा गर्दन के कैंसर का इलाज किया जा सकता है।
देहरादून के श्री महंत इंद्रेस हॉस्पिटल, एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज, दून हॉस्पिटल तथा ऋषिकेश के हिमालय हॉस्पिटल में दा विंची रोबोट को पहले ही तैनात किया जा चुका है। सोमवार को यह मुजफ्फरनगर पहुंचा, जिससे संबंधित मूल कार्यक्रम वर्धमान महावीर हॉस्पिटल तथा मेडिकल हॉस्पिटल में मंगलवार व बुधवार को होगा।
रक्त के अवयव दान करें, संपूर्ण रक्त नहीं : IMA
एक विशेष मोबाइल वाहन में दा विंची सर्जिकल रोबोट के साथ ही एक ऑपरेशन थियेटर भी है, जिसके माध्यम से छोटे शहरों में चिकित्सकों व सर्जनों को इससे संबंधित बारीकियां बताई जाती हैं।
वाट्टिकुटी प्रौद्योगिकी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) गोपाल चक्रवर्ती ने कहा कि रोबोटिक सर्जनों के साथ एक बातचीत सत्र के दौरान लैप्रोस्कॉपिक सर्जनों के सवालों के जवाब देने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि प्रशिक्षित सर्जनों का उपलब्ध न होना, कम्प्यूटर आधारित प्रक्रियाओं व उपकरणों के महंगा होने के कारण इसकी पहुंच छोटे तथा मंझोले शहरों तक नहीं हो पा रही है।
चक्रवर्ती ने कहा कि रोविंग रोबोट, छोटे शहरों में सर्जनों की मदद करेगा। इसकी मदद से ऊत्तकों को गहराई तक और बेहद साफ-साफ देखा जा सकता है, जिसके कारण सर्जरी सटीक होती है। इससे शानदार नतीजे आते हैं, रोगी जल्दी स्वस्थ होता है और उसे अस्पताल में ज्यादा समय तक नहीं रहना पड़ता।