जोधपुर। खुशियों का पर्व दीपोत्सव के दूसरे दिन बुधवार को रूप चतुर्दशी मनाई गई। रूप चतुर्दशी पर शहर में सौन्दर्य प्रसाधन सामग्रियों की जमकर बिक्री हुई।
धनतेरस की तरह बुधवार को भी शहर के सभी प्रमुख बाजारों में खरीदारी के लिए भीड़ दिखाई दी। धनतेरस पर जो लोग खरीदारी से वंचित रह गए थे उन्होंने आज खरीदारी की। रूप चतुर्दशी पर शहर के बाजारों में सबसे अधिक भीड़ महिलाआें की दिखाई दी।
महिलाआें ने रूप चतुर्दशी पर सोलह श्रृंगार के सभी सौन्दर्य प्रसाधन सामग्रियों की खरीदारी की। इस खरीदारी में पुरूष भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने भी विभिन्न प्रकार की के सौन्दर्य प्रसाधनों की खरीदारी की। आज शहर के अधिकांश ब्यूटी पार्लर व हेयर सैलूनों में भीड़ रही।
सबसे अधिक भीड़ कपडे़ व पटाखों की दुकान पर पड़ी। इसके अलावा ज्वैलरी शोरूम, इलेक्ट्रीक-इलेक्ट्रॉनिक आइटम, वाहन शो रूम आदि स्थानों पर भी भीड़ पड़ी। सभी बाजार खरीदारों से भरे नजर आए।
रूप चौदस पर महिलाओं ने अपने रूप को निखारा और खूब श्रृंगार किया। इतने दिनों से घर की साफ-सफाई, सजावट व मिठाइयां बनाने में जुटी महिलाओं ने रूप चतुर्दशी पर खुद के लिए समय निकाला।
घर के सारे कामों से फुर्सत होकर कुछ महिलाओं ने घर पर ही और किसी ने पार्लर्स में जाकर रूप निखारा। इस कारण शहर के ब्यूटी पार्लर्स में भीड़ रही।
आधुनिक होने के बाद भी महिलाओं ने इस दिन का महत्व समझते हुए सोलह-शृंगार किया। महिलाओं ने इस दिन के लिए पहले से ही बुकिंग्स करा रखी थी। सुबह व दोपहर को समय निकाल कर महिलाएं ब्यूटी पार्लर्स गई। वहीं शाम को सज-धज कर महिलाओं ने घर-आंगन में दीप जलाए। साथ ही रंगोली व मांडणे से आंगन सजाए।
रूप चतुर्दशी के अवसर पर सवेरे लक्ष्मीजी की बहिन दरिद्रता को घर से विदा किया गया। तडक़े गृहिणियों ने स्नान करने के बाद घर के बाहर कूडे़ करकड़ के स्थान पर दीपक जलाए। मान्यता है कि इस दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करने से धन व एेश्वर्य की वृद्धि होती है।
रूप चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी और छोटी दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि नरक से मुक्ति और यमराज को प्रसन्न करने का सबसे अच्छा दिन रूप चतुर्दशी है इसलिए आज शाम को कई लोग चार बत्तियों का दीपक सूर्यास्त के समय घर के दरवाजे के बाहर रखेंगे।
गुरुवार को मनाई जाएगी दिवाली
गुरुवार को दीपावली मनाई जाएगी। इस वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या 19 अक्टूबर को पड़ रही है। अमावस्या के दिन गुरुवार को महालक्ष्मी का विशेष पूजन किया जाता है। इस रात्रि को जागरण करके धन की देवी लक्ष्मी माता का विधिपूर्वक पूजन करने से मनुष्यों को सभी भौतिक सुख सुविधाओं की प्राप्ति होती है।
लक्ष्मी मां की प्रदोष काल, स्थिर लग्न में पूजा विशेष फलदायी मानी गई है। शुक्रवार को गोवर्धन पूजा होगी। पंच महापर्व का समापन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भाई दूज पर्व से किया जाएगा।
इस दिन विवाहित बहनें अपने भाइयों को घर आमंत्रित कर हाथों से भोजन खिलाने की परम्परा का निर्वहन करेगी। दीपावली के दूसरे दिन से सूर्यनगरी के सभी प्रमुख कृष्ण मंदिरों में मंूग व छप्पन भोग पूजन के साथ ही अन्नकूट महोत्सव आरंभ हो जाएंगे।
लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
कार्तिक कृष्ण अमावस्या पर दीपावली के दिन चित्रा नक्षत्र में मां लक्ष्मीजी का पूजन किया जाएगा। दिवाली को अमावस्या रहेगी इसलिए दिन व रात्रि दोनों समय मां लक्ष्मीजी की पूजा हो सकेगी। इस दिन तुला राशि में सूर्य, चंद्र, बुध और गुरु की युक्ति से चतुग्र्रही योग बनेगा। प्रदोष काल में अमावस्या, स्थिर लग्न व स्थिर नवांश में महालक्ष्मी का पूजन करना सर्वश्रेष्ठ होता है। इस दिन पूजन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त शाम 7.34 से 7.47 बजे तक रहेगा।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार शास्त्रों में यह भी उल्लेख है कि आने वाले वर्ष में माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए उनका पूजन उचित समय पर करने से माता की विशेष कृपा मिलती है। ज्योतिष पंचांग के अनुसार लक्ष्मी पूजन के लिए स्थिर लग्न शास्त्रों में सर्वश्रष्ठ बताए गए हैं। राशि के अनुसार लग्न विशेष में लक्ष्मी पूजा करने से जातक के लिए अत्यंत शुभ और फलदायी रहता है।
ये रहेंगे पूजन के मुहूर्त
प्रदोष काल- शाम 5.51 से रात 8.23
वृष लग्न- शाम 7.22 से रात्रि 9.19
सिंह लग्न- मध्यरात्रि बाद 1.52 से 4.08
सर्वश्रेष्ठ- शाम 7.34 से 7.47