नाडोल। लोकमान्य संत वरिष्ठ प्रवर्तक शेरे राजस्थान रूपमुनि महाराज ने कहा कि संसार मे दो प्रकार के जीव होते हैं, एक पापी एक धर्मी। उसमे जैन दर्शन के अनुसार भवि निकट भवि, एवं अभवि तीन तरह की आत्मा होती है जिसमे भवि और निकट भवि का तिरना संभव है पर अभवि कभी नहीं तिर सकता। वे मुक्ता मिश्री रूपसुकन दरबार में आचार्य सम्राट डॉ.शिवमुनि महराज के जन्मोत्सव पर गुरूवार को आयोजित धर्मसभा मे प्रवचन कर रहे थे।…
उपप्रवर्तक सुकनमुनि ने कहा कि राजा की पूजा अपने देश मे होती है परन्तु विद्वान सर्वत्र पूजा जाता है। तपस्वी रत्न अमृतमुनि ने कहा कि उतम पुरुष उपकार ही करते हैं वे बदले मे कुछ नहीं चाहते है वे उपकार बुद्वियुक्त पर हित चाहते हैं। डॉ.अमरेश मुनि निराला ने कहा कि कभी प्यासे को पानी पिलाया ही नहीं और बाद मे आंसू बहाने से क्या लाभ है।
बालयोगी अखिलेशमुनि ने कहा कि मुनुष्य को जीवन मे तीन बातें धारण करनी चाहिएं कम लेना, अधिक देना तथा श्रेष्ठ जीवन जीना। इसी से जीवन महान बनता है। चैन्नई से आए बिलाडर संघ अध्यक्ष जीवनमल गोठी ने अपने विचार व्यक्त किए।
बाहर से आए भकतों का रूपसुकन चातुर्मास समिति नाडोल के अध्यक्ष कांतीलाल जैन, महामंत्री हितैष चौहान, संयोजक जयचन्द कटारिया, सहमत्री जगदीशसिंह राजपुरोहित, उपाध्यक्ष देवीचन्द बोहरा, सह संयोजक पोमाराम चौधरी, किशोर अग्रवाल, नथमल गंाधी, छगनलाल मेवाडा, उमाराम चौधरी, अमरसिंह राजपुरोहित, मनीष मेवाडा, रूपमुनि महराज के निजी सचिव नरेन्द्र देवासी सहीत समिति सदस्यों द्वारा शॉल व माल्यार्पण से स्वागत किया गया। मंच सचालन जयनगर वाले महावीरचन्द बोरून्दिया ने किया।