नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन राव भागवत ने कहा है कि देश में आरक्षण पर राजनीति नहीं होनी चाहिये । आरक्षण पर निर्णय लेने का काम राजनीतिक हितों से मुक्त समिति को दिया जाना चाहिये।
संघ की पत्रिका पांचजन्य को दिये साक्षात्कार में संघ प्रमुख ने कहा कि संविधान में सामाजिक पिछड़े वर्ग पर आधारित आरक्षण नीति की बात है। संविधानकारों के मन में था कि इसका राजनीतिकरण नहीं होना चाहिये। ऐसे में उनकी इच्छा के अनुरुप किया जाता तो आज आरक्षण के मुद्दे पर इतने सारे प्रश्न खड़े नहीं होते।
संविधान में आरक्षण के प्रावधान के चलते इसका राजनीति के रूप में उपयोग किया गया है। हमारा मानना है कि एक समिति बनायी जाये जिसमें राजनीतिक प्रतिनिधि हों, लेकिन इसका संचालन उन लोगों के द्वारा किया जाये जिनके मन में सेवाभाव हो और वह सारे देश के हित में विचार कर निर्णय लें।
यह समिति ही तय करे की कितने लोगों को आरक्षण की आवश्यकता है और कितने दिन तक आवश्यकता है। इन सब बातों को लागू करने का पूरा अधिकार उस समिति के हाथ में हो। बिशेष रुप से ध्यान देने वाली बात यह है कि इन सब बातों को प्रामाणिकता से लागू किया जाये।
उन्होंने कहा कि सब सुखी हों, ऐसा समग्र भाव होना चाहिए। देश के हित में हमारा हित है, ये समझकर चलना समझदारी है। वहीं शासन को इतना संवेदनशील होना चाहिए कि आन्दोलन किए बिना समस्याएं ध्यान में लेकर उनके हल का प्रयास करें।
पूरे समाज के हित में हमारा हित है, ऐसी दृष्टि शासनकर्ताओं और समाजवेत्ताओं में होनी चाहिए। किसी एक वर्ग के द्वारा किसी एक के हित को लगातार दबाते रहना, यह समूचे हित के खिलाफ है। ध्यान में रखकर इस दृष्टि से कार्य होना चाहिए।