मुंबई। राजनीतिक नफे नुकसान को लेकर विधानसभा चुनाव के दौरान गठबंधन तोड़कर अलग हुई दो भगवा रंग में रंगी पार्टियों बीजेपी और शिवसेना के बीच रिश्तों में घुली कड़वाहट खत्म होने के संकेत मिलने लगे हैं। सूत्र बताते हैं कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और सह कार्याहक भैयाजी जोशी ने जिस तरह से शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से अपनापन जताते हुए फोन पर बातचीत की शुरुआत की है उससे तो लगता है कि जल्द ही महाराष्ट्र की राजनीति में फिर बड़ा उलटफेर हो सकता है।
आरएसएस प्रमुख की सक्रियता इस बात का संकेत है कि हिन्दुत्व का एजेंडा लेकर चल रही दोनों राजनीति पार्टियां एक मंच पर आ सकती है। कहा जा रहा है रविवार को खुद भागवत ने उद्धव ठाकरे से फोन पर फिर गठबंधन करने के मुद्दे पर बात की। वे ठाकरे से कभी भी मुलाकात भी कर सकते हैं। भागवत चाहते हैं कि शिवसेना महाराष्ट्र में भाजपा के साथ सरकार में शामिल हो।
संघ की सक्रियता के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने भी नरम रुख अपनाते हुए कहा है कि पुरानी सहयोगी पार्टी शिवसेना के साथ बातचीत संभव है। भाजपा को शिवसेना के साथ आने का इंतजार है। सूत्र बताते हैं कि विधानसभा का शीतकालीन सत्र 8 दिसंबर को शुरू होना है तथा मुख्यमंत्री अपनी कैबिनेट का विस्तार अगले हफ्ते कर सकते हैं। शिवसेना से बातचीत सफल रही तो वह भी सरकार का हिस्सा बन सकती है।
शिवसेना के केन्द्र में एक मात्र मंत्री अनंत गीते ने भी कहा है कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल से उनकी पार्टी अलग नहीं होगी तथा एनडीए का हिस्सा बनी रहेगी। लेकिन राज्य के हालात पर फैसला उद्धव ठाकरे करेंगे। लोकसभा चुनाव दोनों पार्टयों ने मिलकर लड़ा था।
भाजपा की मजबूरी
केन्द्र में भले ही बीजेपी सरकार बहुमत के लिए शिवसेना पर निर्भर न हो लेकिन महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार अल्पमत में है। शिवसेना का साथ न मिलने से राज्यसभा में सरकार बहुमत में नहीं होगी। मोदी सरकार को आने वाले दिनों में जमीन अधिग्रहण बिल, बीमा संशोधन बिल, जीएसटी के लिए संविधान संशोधन बिल पास कराने के लिए शिवसेना के समर्थन की जरूरत पड़ेगी।