गोरखपुर। गोरखपुर में रविवार को आयोजित राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के दायित्वधारी कार्यकर्ताओं की बैठक में आरएसएस प्रमुख कार्यकर्ताओं को शाखा के गुर सिखा गए।
संघ प्रमुख ने शाखाएं बढ़ाने पर जोर दिया ही, बाल, तरूण और प्रौढ़ स्वयंसेवकों के निर्माण के पीछे का राज भी खोला।
महाराणा प्रताप डिग्री काॅलेज के परिसर में आयोजित बैठक में संघ प्रमुख बोले कि तरूण सक्रिय होता है, उसके भीतर संवेदनाएं होती है, वह समाज के दुंख से दुुखी होता है, तरूण समस्या के निराकरण का प्रयास करता है।
वर्तमान में तरूणों को प्रौढ़ स्वयंसेवकों के अनुभव की जरूरत है। तरूणों की सक्रियता व प्रौढ़ों के अनुभव से श्रेष्ठ समाज का निर्माण होता है। बाल स्वंयसेवकों को शाखा में बुलाने का मकसद उनके व्यक्तित्व निर्माण व श्रेष्ठ भारत बनाने की मंशा छिपी है।
शाखा की तुलना एक परिवार से करते हुए यह बताने का प्रयास किया कि मंडल कार्यवाह, मुख्य शिक्षक, गण शिक्षक व गट नायक सिर्फ स्वयंसेवकों का एकत्रीकरण नही करते बल्कि उनमे संस्कार, अनुशासन को आरोपित करने का प्रयास करते है। इनमे मुखिया के रूप में मंडल कार्यवाह प्रमुख भूमिका निभाता है और समाज को समरस भाव से बांधने का गुर सिखाता है।
समाज का हर वर्ग सृष्टि के बारे में सोचे, विश्व की हित की बात करे, यही शाखा का मूल कार्य है। यही वजह है कि संघ कुछ बोलता है तो पूरी दुनिया उस पर विचार करने को विवश होती है। संघ प्रमुख ने स्वयंसेवकों में शाखा के प्रति आकर्षण पैदा करते हुए उन्हे इसकी छोटी से छोटी बातों को भी बताने का प्रयास किया।