वाराणसी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत गुरुवार को काशीनगर के रामनगर पहुंचे।
इन्हें काशी के राजा कुंवर अनन्त सिंह ने रामलीला देखने का आमंत्रण दिया था। यह आमंत्रण इन्हें 6 महीने पूर्व ही दिया था, जिसे भागवत ने स्वीकार कर लिया था। अस्ताचल सूर्य की लालिमा में शुरू हुई रामलीला में चारों भाइयों और उनके भातृप्रेम को देख संघ प्रमुख भागवत भाव-विह्वल हो गए।
गुरुवार को रामनगर दुर्गा तालाब के किनारे होने वाले रामलीला को देखने के लिए भागवत समय से पहुंच गए। इस दिन की लीला का उद्घाटन होने के बाद भरत मिलाप की शुरुआत हुई।
भारद्वाज ऋषि के मनोरम आश्रम से निकलने वाले भरत के स्वागत में 36 वीं वाहिनी पीएसी के जवानों ने सलामी दिया। भरत को बाकायदा शाही अंदाज में राइफल सलामी दी गई। मानो बीते दिन वापस आ गए हों।
दृश्य देख रहे दर्शकों का उत्साह भी देखे बन रहा था। पीएसी जवानो ने जैसे ही सलामी के बाद अपनी पूर्ववत पोजीशन ली, पूरा ग्राउंड जय श्रीराम और भरत की जय हो की जयकारे से गूंज उठा।
यमुना पार भरतकुण्ड (चित्रकूट) पहुंचे भरत और श्रीराम के मिलाप के सहज दृश्य को देखने के बाद लोगों की आंखें छलक उठीं। महिलाएं देर तक अपनी अश्रुधाराएं पोछती रहीं। इस दौरान रामलीला ग्राउण्ड में शांति छाई रही। सभी राम और भरत के भातृप्रेम के दृश्य को देखने और संवादों को सुनने में मगशूल रहे।
-पैदल घूम लोगों से किया बातचीत
संघ प्रमुख ने रामलीला के दौरान लोगों से बातचीत कर उनकी श्रद्धा के जाने का प्रयास किया। नियमित दर्शकों को इससे मिलने वाली सीख और बच्चों पर पड़ने वाले असर के बारे में भी बातचीत की। संघ प्रमुख ने एक किमी की परिधि में फैले रामलीला मैदान में महिलाओं और बच्चों के विचारों को भी जानने का प्रयास किया।