नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत विजयदशमी के मौके पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि भारत विश्व का प्राचीन देश है। इस नाते हम विश्व के बड़े भाई जैसे हैं। भागवत ने देशवासियों को इस पावन पर्व की शुभकामना दी।…
भागवत के उदबोधन का दूरदर्शन पर सीधा प्रसारण किया गया। आरएसएस प्रमुख भागवत ने कहाकि भारत को सभी के सपनों का देश बनाने के लिए केन्द्र सरकार जिस तरह काम कर रही हैए उसके परिणाम आने में कुछ समय तो लगेगा ही। इसके लिए हम सभी को इंतजार करना होगा।
संघ प्रमुख ने देश और दुनिया से जुड़े तमाम मुद्दों पर चर्चा की। भाषण की शुरुआत में पहले तो उन्होंने मंगल ग्रह पर पहुंचने के लिए देश के वैज्ञानिकों को बधाई दी, साथ ही एशियाई खेलों मे पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को भी बधाई दी। इसके बाद उन्होंने विश्व में बढ़ रहे आतंकवाद और कट्टरवाद का मुद्दा उठाया। भागवत ने कहा कि भारत ने कभी किसी दूसरे के संस्कार में दखलअंदाजी नहीं की, न ही किसी मूर्ति को तोड़ा।
अपने भाषण में संघ प्रमुख ने मध्य एशिया में हो रहे संघर्ष के लिए बिना किसी देश का नाम लिए उनकी गलत नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि विश्व के कुछ देशों द्वारा मध्य एशिया के तेल को हथियाने के लिए जो गलत नीतियां बनाई गई उसके चलते हुए ही कट्टरवाद की एक नई प्रतिक्रिया ने जन्म लिया है। उन्होंने कहा कि क्रिया के बाद ही कोई प्रतिक्रिया होती है।
उनका कहना था कि विविधताओं को स्वीकार करने से ही मानवता का विकास संभव है। उन्होंने मंगलयान की कामयाबी के लिए देश के वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा कि इससे न सिर्फ देश के वैज्ञानिकों का बल्कि देश का भी मान बढ़ा है। इस दौरान उन्होंने देश की पुरातन संस्कृति का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भारत विश्व का प्राचीन देश है इस लिए हम विश्व के लिए बड़े भाई जैसे हैं।
गौरतलब है कि 1925 में विजयादशमी के दिन ही हेडगेवर ने संघ की स्थापना की थी। संघ प्रमुख ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की अमेरिका यात्रा के दौरान भारतीय मूल के लोगों का उत्साह साफ दिख रहा था, जिसे अमेरिका ने भी स्वीकार किया है। उन्होंने कार्यकर्ताओं के जरिए देश के लोगों को भारत का संपूर्ण विकास करने को कहा। संघ के 87वां स्थापना दिवस के मौके पर इसके नागपुर स्थित मुख्यालय में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी मौजूद थे।