लखनऊ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ युवाओं में स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए अपना ड्रेस (हाफ खाकी नेकर) बदलने के मूड़ में है।
संघ के सह सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने शनिवार को निरालानगर में अमृत विशाल कक्ष में चल रही कार्यकर्ताओं की बैठक में इसके संकेत दिए।
इससे तय माना जा रहा है संघ नेतृत्व ने गणवेश मेें बदलाव का मन बना लिया है। बस केवल घोषणा करना बाकी है। सूत्रों के मुताबिक आगामी मार्च में होने वाली अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में इसकी औपचारिक घोषणा हो जाएगी।
दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि संघ में परम पवित्र भगवाध्वज और हिन्दू राष्ट्र की संकल्पना को छोड़कर सब कुछ बदला जा सकता है। उन्होंने कहा कि संघ के संविधान में गणवेश का उल्लेख नहीं हैं।
उन्होंने कार्यकर्ताओं के भ्रम को दूर करते हुए कहा कि संघ से नेकर है नेकर से संघ नहीं है। इससे पहले भी कई बार गणवेश में परिवर्तन हो चुके हैं।
संघ रूढि़वादी संगठन नहीं है समय के अनुकूल हर चीज बदलती है। जो अपने अन्दर बदलाव नहीं करता है वह समाप्त हो जाता है।
गौरतलब हो कि पिछले करीब नौ दशक से आरएसएस की पहचान खाकी रंग की नेकर जल्द ही फुलपेंट से बदला जा सकता है। इसके साथ ही सफेद शर्ट की जगह टी शर्ट ले सकती है।
नवम्बर मेें संपन्न अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल की बैठक में कुछ सदस्यों ने कहा था कि खाकी नेकर के कारण कई युवा शाखा में आने से कतराते हैं।
वरिष्ठ सदस्यों के सुझाव पर सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने पांच पदाधिकारियों की एक समिति बनाई थी। यह समिति मार्च में होने वाली प्रतिनिधि सभा के समक्ष अपनी रिपोर्ट रखेगी।
2010 में संघ ने अपनी यूनिफॉर्म में बदलाव कर चमड़े की जगह कैनवास का बेल्ट इस्तेमाल करने का निर्णय लिया था। उल्लेखनीय है कि 1925 से 1939 तक संघ की यूनिफार्म पूरी तरह खाकी थी।
1940 में शर्ट का रंग खाकी से सफेद हो गया। इसके बाद 1973 में लेदर के जूतों की जगह लॉंग बूट आ गए। कुछ समय बाद रेक्सीन के जूतों का विकल्प भी मंजूर कर लिया गया।