गुवाहाटी। नगालैंड के राज्यपाल व असम के प्रभारी राज्यपाल पीबी आचार्य ने शुक्रवार को कांग्रेसी प्रतिनिधिमंडल से मिलने के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए कांग्रेस पर जमकर हमला बोला।
उन्होंने कांग्रेस द्वारा आरएसएस के लेकर हाय तौबा मचाए जाने का खंडन करते हुए कहा कि आरएसएस कोई प्रतिबंधित संगठन नहीं है। इसलिए कांग्रेस की यह आपत्ति सही नहीं है।
उन्होंने कहा कि मैं राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद पर बैठा हूं, इसिलए मेरा दायित्व है कि संविधान प्रदत्त अधिकारों के तहत समाज के दबे-कुचले और पिछड़े वर्ग के हितों को सुरक्षित रखते हुए उनके अधिकार उन्हें दिलाऊं।
मीडिया द्वारा कांग्रेस की ओर से लगाए गए आरोप पर बोलते हुए कहा कि बीते दिनों सिलचर में योगा के संबंध में आयोजित एक कार्यक्रम में मैंने कहा था कि देश की आजादी के बाद से अब तक देश को देश के लोगों ने ही लूटा है।
किसी पार्टी का मैंने नाम नहीं लिया था। इसलिए इसे कांग्रेस का अपने साथ जोड़कर देखना सही नहीं है। इस बात को आज भी मैं मानता हूं। इस दौरान कितने बड़े इंडस्ट्रलिस्ट, ब्यूरोकेट व नेतागण देश का पैसा लूटकर विदेशों में जमा करते गए इसमें किसी को भी आपत्ति नहीं है।
राज्यपाल महोदय ने कहा कि राज्य के विश्वविद्यालयों में नियुक्तियों को लेकर उठ रहे सवाल बेबुनियाद हैं। क्योंकि जिस किसी की भी नियुक्ति हुई है वह उस व्यक्ति की योग्यता के आधार पर हुई है। इसमें किसी संगठन से जुड़े होने के चलते या अयोग्य व्यक्ति की नहीं हुई है।
ज्ञात हो कि कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि राज्यपाल आरएसएस से जुड़े हुए लोगों को विश्वविद्यालय में नियुक्त कर रहे हैं, साथ ही अयोग्य लोगों को भी नियुक्त किया जा रहा है।
इस पर राज्यपाल ने कहा कि इसमें कोई सच्चा नहीं है। कोई किसी संगठन से जुड़ा हुआ तो इससे वह अयोग्य नहीं हो जाता। जिसकी भी नियुक्ति हुई है वह उस व्यक्ति की योग्यता के आधार पर हुआ है।
आचार्य ने कहा कि उनका कांग्रेस या सरकार को किसी भी तरह का कोई मनमुटाव नहीं है। उन्होंने कहा कि वे मुख्यमंत्री तरुण गोगोई को अपने आवास पर रात्रि भोज के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन वे व्यस्त थे, इसलिए वे नहीं है। इसलिए मनमुटाव की बातों में कोई दम नहीं है। बावजूद इसके कांग्रेस राज्यपाल पर आरोप मढ़ने के किसी मौके को नहीं छोड़ती है।
ज्ञात हो कि राज्यपाल और कांग्रेस पार्टी के बीच जबानी जंग आज की बैठक के बाद और तेज होने के आसार बढ़ गए हैं। कारण जिस किसी भी कार्यक्रम में राज्यपाल जाते हैं वे अपना विचार रखने से नहीं चुकते।
जिससे कांग्रेस को काफी परेशानी हो रही है। क्योंकि कई बार राज्यपाल महोदय कांग्रेस का ध्यान उसकी कमियों की ओर आकर्षित करते हैं। माना जा रहा है कि राज्यपाल और कांग्रेस की जंग और भी तेज होने वाली है।