राजसमन्द। राज्य सरकार की ओर से हाल ही में जारी की गई रीट परीक्षा की विज्ञप्ति से शिक्षक प्रशिक्षण प्राप्त राज्य के कई बेरोजगारों के शिक्षक बनने का सपने टूट गए।
इसकी मुख्य वजह वर्ष 2009 में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने अपने नियमों में संशोधन कर स्नातक परीक्षा में सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए पचास फीसदी अंक व आरक्षित वर्ग के लिए 45 फीसदी अंक पर ही बीएड व तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती के लिए होने वाली शिक्षक पात्रता परीक्षा टेट में बैठने का प्रावधान कर दिया।
स्नातक स्तर पर 50 प्रतिशत अंक की अनिवार्यता लागू कर दी। इस नियम को केंद्र के मानव संसाधन मंत्रालय एंव राज्य सरकार ने तो आसानी से लागू कर इतिश्री कर ली, लेकिन इससे उन लोगों को करारा झटका लगा जिन्होंने वर्ष 2009 से पहले स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण की।
जिन युवाओं ने वर्ष 2009 नियम लागू होने से पहले स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण कर मन में शिक्षक बनने के सपनों को धारा 370 के चलते विशेष दर्जा प्राप्त राज्य जम्मू एवं कश्मीर से अध्यापक प्रशिक्षण भी उत्तीर्ण कर ली लेकिन इस राष्ट्र में उनको तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा के लिए होने वाली पात्रता परीक्षा टेट में पचास फीसदी अंक की अनिर्वायता में बांध कर यह नियम जबरन लादा जा रहा है।
जबकि जम्मू एवं कश्मीर राज्य के विश्वविद्यालयों में बीएड विशेष दर्जा प्राप्त राज्य होने की वजह से स्नातक उत्तीर्ण में ही नियमानुसार करवाई गई। राजस्थान सरकार ने तृतीय श्रेणी शिक्षक बनने के लिए एक ही प्रतियोगी परीक्षा (रीट) करवाने का प्रावधान लागु कर लिया।
अब राजस्थान के हजारों युवाओं को राज्य सरकार से उम्मीदों की नजर गडाए बैठे है कि राज्य सरकार निश्चित रूप से क्रेन्द्र से भी नियम संसोधन कर राज्य में होने वाली तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा रीट में तो संशोधन कर पचास फीसदी अंको के साथ स्नातक उतीर्ण की बाध्यता समाप्त कर देगी।
इस (रीट) में स्नातक परीक्षा उतीर्ण व न्यायालय के वर्ष 2009 का नियम लागू होने से पहले स्नातक उत्तीर्ण कर चूके अभ्यर्थियों को भी पात्र मानकर खुशियों की सौगात देगी।