सिरोही। राजकीय महाविद्यालय, सिरोही की राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ (रूक्टा, राष्ट्रीय) इकाई द्वारा रविवार को स्थानीय गुरूकुल छात्रावास में नवसंवत्सर के बारे में जानकारी हेतु एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी में मुख्य वक्ता नववर्ष आयोजन समिति जिला सिरोही के अध्यक्ष समाजसेवी रमेश कोठारी ने उपस्थित शिक्षको को बताया कि काल गणना के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नववर्ष की शुरूआत होती है। यह दिन हमारे लिए शुभ दिन होता है। सृष्टि की रचना भी ब्रह्या जी ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से प्रारम्भ की थी। उन्होंने कहा कि हमें अपने प्राचीन शास्त्रों पर आधारित काल गणना का मान रखना चाहिए।
इससे पूर्व कार्यक्रम का प्रारम्भ मां सरस्वती के पूजन द्वारा किया गया। जिसके पश्चात् मुख्य वक्ता रमेश कोठारी तथा समारोह अध्यक्ष पी. एल. दीपक (सेवानिवृत्त आई. जी. आई. बी.) का पुष्प गुच्छ द्वारा इकाई सचिव सुश्री कुसुम राठौड़ ने स्वागत किया तथा अतिथियों का परिचय दिया। कैलाश जोशी ने विषय प्रर्वतन किया।
संस्कृत के व्याख्याता रामनारायण शास्त्री ने विस्तार से नवसंवत्सर का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि सृष्टि की शुरूआत इसी दिन से हुई है। यह समय बसन्त ऋतु का है जिसमें समस्त जीवों के लिए समय अनुकूल है। वरूण अवतार झूलेलाल का जन्म भी इसी दिन हुआ। स्वामी दयानन्द सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना भी इसी दिन से की थी। उन्होंने वेद मंत्रों के साथ नवसंवत्सर के महत्व को समझाया।
अन्त में समारोह अध्यक्ष पी. एल. दीपक ने उपस्थित शिक्षको से अनुरोध किया कि आज की पीढ़ी को नवसंवत्सर की जानकारी अवश्य दें। इकाई सचिव सुश्री कुसुम राठौड़ ने समस्त आगन्तुकों को तथा गुरूकुल छात्रावास प्रबंधक कैलाश जोशी का आभार जताया। कार्यक्रम में डाॅ. रूचि पुरोहित, श्रीमती बीना भाटिया, अतुल भाटिया, डाॅ. गायत्री प्रसाद, डाॅ. सुरेश कुमार, डाॅ. ज्ञान विकास मिश्रा एवं डाॅ. संजय पुरोहित इत्यादि व्याख्याता उपस्थित थे।