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'Running Shaadi' Movie review : amit - taapsee make a great pair in an okay film
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फिल्म समीक्षा ‘रनिंग शादी’

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फिल्म समीक्षा ‘रनिंग शादी’
'Running Shaadi' Movie review : amit - taapsee make a great pair in an okay film
'Running Shaadi' Movie review : amit - taapsee make a great pair in an okay film
‘Running Shaadi’ Movie review : amit – taapsee make a great pair in an okay film

आम तौर पर परिवार के विरोध के चलते शादी करने के मंसूबे पालने वाले जोड़ियों को खासी परेशानी होती है। ऐसी जोड़ियों को अगर एक वेबसाइट के जरिए शादी करने का मौका मिल जाए, तो इस आइडिए को लेकर बनी निर्देशक अमित राय की फिल्म आइडिए के स्तर पर बेहतरीन नजर आती है, लेकिन कमजोर निर्देशन और लचर पटकथा ने इस फिल्म को कहीं का नहीं छोड़ा।

पहले कहानी की बात कर लेते हैं, जो पंजाब से शुरू होकर बिहार में जाकर खत्म होती है। बिहार का रहने वाला भरोसे (अमित शाद) पंजाब के अमृतसर में एक कपड़े की दुकान में काम करता है। दुकान के मालिक की बेटी निम्मी (तापसी पन्नू) के साथ दोस्ती है।

एक विवाद के चलते भरोसे अपना काम छोड़ देता है और अपने दोस्त (अर्श बाजवा) के साथ मिलकर एक वेबसाइट शुरू करता है। इस वेबसाइट से वे जोड़ियां जुड़ती हैं, जो पारिवारिक विरोध या किसी और वजह से शादी नहीं कर पाती थी।

भरोसे की शादी बिहार में उसके मामा जी ने तय कर दी है, लेकिन भरोसे निम्मी की भावनाओं को नहीं समझ पाता, जो भरोसे से प्यार करने लगती है। निम्मी खुद आगे बढ़ती है और ऐसा ड्रामा करती है कि भरोसे उसको लेकर भाग जाता है और बिहार अपने घर तक पहुंच जाता है। जहां उसकी शादी का दिन भी आ जाता है।

नाटकीय अंदाज में आखिरकार निम्मी और भरोसे का मिलन हो जाता है। फिल्म का आइडिया अच्छा था, जिस पर एक लाइट कॉमेडी रोमांटिक फिल्म बन सकती थी, लेकिन निर्देशक अमित राय फिल्म की अच्छी शुरूआत के बाद भी आगे संभाल नहीं पाए और फिल्म लड़खड़ाती चली जाती है।

एक तरफ वेबसाइट के जरिए प्रेमी युगलों को शादी करने का मौका देने का नया आइडिया, तो दूसरी तरफ फिल्म में ऐसे मसालों को ठूंस दिया, जिनसे फिल्म दोयम दर्जे की होती चली गई। इन दोनों के बीच संतुलन बनाए रखने में अमित राय का निर्देशन फेल रहा।

इस तरह की फिल्म बनाने में कॉमेडी और रोमांस के बीच बैलेंस बनाए रखना जरूरी होता है। इस मामले में भी फिल्म कमजोर है। खास तौर पर दूसरे हाफ में तो फिल्म का और बुरा हाल हो जाता है। भरोसे की शादी का पूरा सीक्वेंस दयनीय है।

परफॉरमेंस की बात करें, तो कमजोर किरदार होने की वजह से तापसी पन्नू और अमित शाद भी बहुत ज्यादा कुछ नहीं कर पाए। तापसी ग्लैमर वाले मामले में अच्छी रहीं, लेकिन एक्टिंग के लिहाज से कमजोर किरदार की मार ने उनको बेअसर कर दिया।

सहायक भूमिकाओं में भरोसे के दोस्त के रोल में अर्श बाजवा ठीकठाक रहा। पंकज झा कॉमेडी के कुछ बेहतर सीन क्रिएट करते हैं। तकनीकी रूप से फिल्म ठीक है। संगीत का मामला भी लचर है। अच्छा आइडिया होने के बाद भी फिल्म का बॉक्स ऑफिस पर चल पाना मुश्किल लगता है।