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रेयान हत्याकांड में साजिश की आशंका : प्रद्युम्न के पिता - Sabguru News
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रेयान हत्याकांड में साजिश की आशंका : प्रद्युम्न के पिता

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रेयान हत्याकांड में साजिश की आशंका : प्रद्युम्न के पिता

नई दिल्ली। गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्कूल के प्रद्युम्न हत्याकांड ने देशभर को झकझोर कर रख दिया। बेटे को इंसाफ दिलाने की जंग लड़ रहे पिता का कहना है कि इसमें साजिश की बू आ रही है। उन्होंने कहा कि इस हत्याकांड को अकेले बस कंडक्टर अशोक ने अंजाम नहीं दिया है, बल्कि इसमें कई और लोग शामिल हैं।

मूल रूप से बिहार के मधुबनी जिले के रहने वाले वरुण कहते हैं कि उन्हें इस हत्याकांड में साजिश की बू आ रही है। वह कहते हैं कि ऐसा लग रहा है कि सब कुछ काफी सोच-विचारकर किया गया है। हत्यारे के पास पहले से ही चाकू था। वह बच्चों के बाथरूम में था, जहां उसे नहीं होना चाहिए। वह हत्या के बाद चाकू वहीं फेंक देता है।

इतना बड़ा चाकू लेकर वह आराम से स्कूल में कैसे घूम रहा था। बाथरूम की खिड़की की ग्रिल कटी पाई गई है। आरोपी कंडक्टर अशोक अब बयान भी बदल रहा है। उसके बयानों में विरोधाभास है। ये सारी चीजें साजिश की तरफ इशारा करती हैं।

वह आगे कहते हैं कि वह शख्स इस बात से डर सकता है कि बच्चे ने उसे गलत हरकत करते हुए देख लिया, वह सबको इसके बारे में बता देगा, लेकिन क्या वह हत्या के बाद के परिणामों के बारे में सोचकर नहीं डरा कि उसे फांसी हो सकती है। अगर अशोक ही हत्यारा है, तो वह हत्या के बाद भागा क्यों नहीं?

यह पूछने पर कि क्या उनका बेटा किसी आपसी रंजिश का शिकार तो नहीं हुआ? वरुण आश्वस्त होकर कहते हैं कि मुझे नहीं लगता कि यह आपसी रंजिश का मामला है। मेरी किसी से कोई रंजिश नहीं है और बच्चों ने भी कभी किसी तरह की शिकायत नहीं की।

इस पूरे घटनाक्रम में स्कूल प्रबंधन पर गाज गिरी है। स्कूल के कई स्टाफकर्मियों को गिरफ्तार किया गया है। इस घटना में स्कूल की जूनियर सेक्शन इंचार्ज अंजू मैडम अछूती नहीं रही। इस मामले में अंजू के बर्ताव और भूमिका के बारे में पूछने पर प्रद्युम्न के पिता कहते हैं, यह तो अंजू मैम ही बेहतर बता सकती हैं।

हो सकता है कि उन्होंने हड़बड़ी में बच्चे की ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया हो और बच्चे को अस्पताल लेकर भागी हों। उनकी भूमिका के बारे में कुछ नहीं कह सकता, लेकिन बर्ताव संतोषजनक नहीं रहा।

यह पूछने पर कि क्या उन्हें इस हत्याकांड में अशोक के अलावा और भी लोगों पर शक है? इसका जवाब देते हुए वह कहते हैं कि अगर मैं बोल रहा हूं कि सिर्फ अशोक इसमें शामिल नहीं हो सकता, तो इसका मतलब यही है कि कुछ और लोग भी हैं। स्कूल की तरफ से लीपापोती की कोशिश और पुलिस की जांच आगे न बढ़ती देखकर हमने सर्वोच्च न्यायालय जाने का फैसला लिया।

बेटे को न्याय दिलाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे प्रद्युम्न के पिता वरुण चंद्र ठाकुर का कहना है कि उसके बेटे के साथ जो कुछ हुआ, वह किसी और के बच्चे के साथ न हो। इसके लिए सख्त कानून बने, मगर यह कानून प्रद्युम्न के नाम पर ही बने, ऐसी चाहत नहीं है।

प्रद्युम्न के पिता वरुण 8 सितंबर को याद करते हुए कहते हैं कि मैं बेटे को पहुंचाकर घर लौटा ही था कि मेरे पास स्कूल से फोन आया कि आपका बेटा बाथरूम के पास गिरा हुआ पाया गया है, उसके बदन से काफी खून बह रहा है। मुझे लगा कि चोट लगने पर थोड़ा-बहुत खून बह रहा होगा, सोचा भी नहीं था कि मेरे बच्चे की बेरहमी से हत्या कर दी गई है।

वरुण ने कहा कि इस पूरे मामले में स्कूल की लापरवाही सामने आई है। स्कूल ने शुरू से ही ऐसा बर्ताव किया, जैसे यह कोई छोटी-मोटी घटना हो। इस घटना की पूरी जवाबदेही स्कूल प्रबंधन की बनती है। वह कहते हैं कि मैं रोजाना स्कूल के भरोसे अपने बच्चे को छोड़कर आता था। कोई पिता सोच भी कैसे सकता है कि स्कूल में बच्चे की हत्या सकती है!

यह पूछने पर कि उन्हें घटना की जानकारी कब और किससे मिली, वरुण कहते हैं कि मुझे स्कूल के रिसेप्शन से फोन आया था, जिसमें मुझे स्कूल की सेक्शन इंचार्ज से बात करने को कहा गया। तब मुझे बताया गया कि बच्चा बाथरूम के पास गिरा हुआ मिला है और उसका खून बह रहा है। मुझे तुरंत आने को कहा गया।

मैं रास्ते में था, तभी दोबारा फोन आया कि हम बच्चे को लेकर अस्पताल जा रहे हैं, आप वहीं आ जाइए’.. उस वक्त भी मैंने यही सोचा कि छोटी-मोटी चोट आई होगी, लेकिन अस्पताल में डॉक्टर ने बताया कि बच्चा मृत अवस्था में यहां लाया गया था।

क्या शुरू से ही इस घटना की लीपापोती की गई? वरुण कहते हैं कि मैंने भी मीडिया के जरिए ही सुना है कि बाथरूम के पास खून के धब्बों को साफ किया गया। स्कूल ने जवाबदेही से भी पल्ला झाड़ लिया। पुलिस से भी खास सहयोग नहीं मिला। कई बार ऐसा लगा कि मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की जा रही है।

प्रद्युम्न के पिता को अभी बहुत लंबी लड़ाई लड़नी है, जो उनके लिए भावनात्मक और आर्थिक रूप से महंगी पड़ने वाली है। इस बीच एक गैरसरकारी संगठन मिथिला लोक फाउंडेशन प्रद्युम्न की मदद के लिए आगे आया है।

वह कहते हैं कि मैं चाहता हूं कि जो मेरे बच्चे के साथ हुआ, वह किसी के साथ नहीं हो। इसके लिए सख्त कानून बनाए जाने की जरूरत है। स्कूलों की जंग खा चुकी गाइडलाइन को बदलने की जरूरत है, ताकि इस तरह की आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों का मनोबल टूटे।

स्कूलों के लिए सख्त दिशा-निर्देश बनने चाहिए। स्कूल प्रबंधन इस तरह की घटनाओं की जवाबदेही ले। मैंने गुजारिश की है कि इस संबंध में सिर्फ कानून ही न बने, बल्कि समय-समय पर उसकी मॉनिटरिंग भी हो।

वरुण कहते हैं कि उनकी ऐसी कोई चाहत नहीं है कि उनके बेटे के नाम पर कानून बने। वह सिर्फ यह चाहते हैं कि देश के सभी स्कूलों में बच्चे सुरक्षित रहें, यह सुनिश्चित हो।

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