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sabguru sting operation of gambling in aburoad railway station premises
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sabguru sting : आबूरोड रेलवे स्टेशन परिसर टिकिट विंडो से ज्यादा होगा जुआ का टर्न ओवर!

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sabguru sting : आबूरोड रेलवे स्टेशन परिसर टिकिट विंडो से ज्यादा होगा जुआ का टर्न ओवर!
अगले दाव के लिए उठाया डाइस
दांव चलने का इंतजार
दांव चलने का इंतजार

सबगुरु न्यूज(परीक्षित मिश्रा)-आबूरोड। भारतीय रेलवे का आबूरोड रेलवे स्टेशन अजमेर मंडल में ऐसा रेलवे स्टेशन होगा, जिसकी टिकिट विंडो पर रेलवे टिकिट का टर्न ओवर इतना नहीं होगा जितना की रेलवे परिसर में प्रतिदिन जुआ का टर्न ओवर है। जीआरपी की आंखों के सामने और आबूरोड सिटी पुलिस के पीठ पीछे धडल्ले से यह जुआ चल रहा है।

 

क्योंकि जीआरपी राजस्थान पुलिस के ही जवान डिप्युट होते हैं। ऐसे में स्थानीय पुलिस और जीआरपी के बीच में अपराधों को लेकर सूचनाओं का आदान-प्रदान होना डिपार्टमेंटल इथिक का भी हिस्सा है। ऐसे में एटीएम पर खडे जीआरपी पुलिस कांस्टेबल की आंख के आगे और गेट की ट्राफिक गुमटी के पास खडे आबूरोड पुलिस के कांस्टेबलों की पीठ के पीछे चल रहा ओपन जुआघर संदेह करने को मजबूर करता है।

वाहनों की आड आबूरोड रेलवे पुलिस थाने से बामुश्किल पचास फीट की दूरी पर खुले आसमान में स्थित इस परिसर में प्रतिदिन पांच लाख रुपये का जुआ खेला जाता है। सबगुरु न्यूज के आबूरोड रेलवे स्टेशन परिसर में वाहनों के पीछे किए गए स्टिंग  में इसी तरह जुआ खेलते हुए करीब एक दर्जन युवक सामने आए हैं।। जिस तरह खुलेआम यह जुआ हो रहा है उससे जीआरपी और स्थानीय पुलिस की  भूमिका को संदेह से बाहर नहीं रखा जा सकता है। सूत्रों के अनुसार अकेले रेलवे स्टेशन परिसर में रोज करीब पांच लाख रुपये जुआ में दाव पर लगता है। संभवतः इतनी राशि के टिकिट आबूरोड रेलवे स्टेशन की साधारण टिकिट विंडों पर नहीं बिकते होंगे।

फिक गया डाइस
फिक गया डाइस

 

-दो डाइस का इस्तेमाल
आबूरोड रेलवे स्टेशन पर सोमवार शाम करीब सवा चार बजे का नजारा होगा। स्टेशन रोड से परिसर में घुसने पर दाहिनी और खडे वाहनों की तीसरी कतार के छठे वाहन के पीछे एक दर्जन युवक एकत्रित थे। कुछ आॅटो में बैठे हुए कुछ गाडियों के बोनट पर और कुछ चारों ओर खडे हुए।

aburoad grp thana
aburoad grp thana

दो युवक जमीन पर बैठे हुए थे। इनमें से एक के बांए हाथ में पांच-पांच सौ रुपये की नोटों की गड्डी नजर आ रही थी और दूसरा युवक डाइस उछाल रहा था। यहां पर लूडो में इस्तेमाल होने वाले दो डाइस का इस्तेमाल करके जुआ खेला जा रहा था। दाव लगाने वाले पैसा देकर नम्बर बोल रहे थे। दोनों डाइस पर आए नम्बरों के जोड वह नम्बर होने चाहिए जो कि पैसा बुक करने वाले बोलते हैं। ऐसा होता है तो दाव पर लगी सारी राशि नम्बर बोलने वाले की। नहीं तो बुकी की हो जाती है।

अगले दाव के लिए उठाया डाइस
अगले दाव के लिए उठाया डाइस

-बचपन के खेल भी दाव का माध्यम
स्टेशन परिसर में ही चंगा प नाम के खेल से भी जुआ खेला जा रहा है। इसमें चारों खिलाडी एक आदमी को पैसा एकत्रित करवाते हैं। जो जीतता है यह राशि उसकी हो जाती है। सूत्रों के अनुसार ताश के पत्तों से जुआ खेलने की परम्परा का खुले आसमान में इसलिए भी इस्तेमाल नहीं किया जाता कि पुलिस रेड के दौरान इन्हें फेंकने पर भी बरामदगी हो जाती है। लेकिन छोटी-छोटी डाइस को फेंकने के बाद ढूंढना भी मुश्किल है।