लखनऊ। समाजवादी पार्टी द्वारा शुक्रवार को 191 प्रत्याशियों की सूची जारी करने के बाद कांग्रेस से उसके गठबन्धन में कई रोड़े नजर आ रहे हैं। पार्टी ने जहां कांग्रेस की कई महत्वपूर्ण सीटों पर उम्मीदवार खड़े कर दिए हैं, वहीं वह कांग्रेस को महज 84-85 सीटें देने के लिए ही तैयार है।
ऐसे में चर्चा है कि कांग्रेस इस गठबन्धन से किनारा करने पर विचार कर सकती है। इस बीच सपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमय नन्दा ने कहा कि अभी तक कांग्रेस से गठबन्धन को लेकर कोई सकारात्मक जवाब नहीं आया है। जहां हम चौथे नम्बर पर होंगे, वहां पर कांग्रेस को सीट दी जाएगी। इसके अलावा जहां उनके प्रत्याशी जीतेंगे, वहां भी उनको स्थान दिया जाएगा।
किरणमय नन्दा ने यह भी कहा कि अमेठी की सीट कांग्रेस के ही पास रहेगी। उन्होंने कहा कि हमने कांग्रेस को 84-85 सीटों का ऑफर दिया है, हालांकि उन्हें 54 सीटें ही मिलनी चाहिए। इसके पीछे वर्ष 2012 में कांग्रेस के विधायकों की संख्या को आधार बताया जा रहा है।
वहीं उन्होंने कहा कि चुनाव में हमारा नारा ‘नेताजी का नाम और अखिलेश यादव का काम’ होगा। पार्टी ने पहले, दूसरे और तीसरे चरण में कांग्रेस के लिए 18 सीटे छोड़ी हैं। इन तीन चरणों में कुल 209 विधानसभा सीटे हैं।
इससे पहले सपा ने गुरूवार को रालोद से गठबन्धन पर इनकार करते हुए कहा था कि सपा 300 प्लस और कांग्रेस 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, लेकिन शुक्रवार को कांग्रेस के लिए सीटें और कम कर दी गई हैं। ऐसे में कांग्रेस पर बेहद दबाव है और एक तरह से गठबन्धन के उसके दावों पर पानी फिर गया है।
कांग्रेस के लिए मुश्किल की घड़ी इसलिए भी है क्योंकि सपा ने उन 8 सीटों पर भी अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं, जिन पर वह अपने प्रत्याशी उतारने वाली थी। इसके अलावा रायबरेली और अमेठी जनपद की ज्यादातर सीटों पर भी सपा अपना हक जता रही है।
सपा की जारी लिस्ट में मथुरा से अशोक अग्रवाल को प्रत्याशी बनाया गया है, जबकि इस सीट से वर्तमान में कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप माथुर एमएलए हैं। इसी तरह से शामली कांग्रेस विधायक पंकज चौधरी के खिलाफ भी मनीष चौहान को टिकट दे दिया है।
वहीं बुलंदशहर की खुर्जा सीट से भी कांग्रेसी विधायक वंशी सिंह पहाड़िया के खिलाफ नंदकिशोर बाल्मीकि को टिकट दिया है।
कानपुर की किदवईनगर से सपा ने ओमप्रकाश मिश्रा को टिकट दिया है, जबकि यहां से कांग्रेस के दिग्गज नेता अजय कपूर विधायक हैं। इन हालातों में कांग्रेस इस गठबन्धन से पीछे हटने पर भी विचार कर सकती है। पार्टी के वरिष्ठ नेता इस सम्बन्ध में मन्थन करने में भी जुट गए हैं।