नई दिल्ली। रेलवे ने खनिज तेल पर निर्भरता को घटाने के लिए रतनजोत से तैयार बायोडीजल के उपयोग को बढ़ावा देने तथा निजी क्षेत्र की साझेदारी से देश में बायोडीजल प्लांट लगाने की योजना का बुधवार को खुलासा किया। रेलमंत्री डीवी सदानंद गौडा ने बायो ईंधन 2014 पर एक सम्मेलन का उदघाटन करते हुए यह जानकारी दी।…
सदानंद गौडा ने कहा कि रेलवे शीघ्र ही सभी डीजल इंजनों में पांच प्रतिशत बायोडीजल का इस्तेमाल शुरू करेगी जिससे बड़े पैमाने पर विदेशी मुद्रा की बचत हो सकेगी। देश में चार हजार से अधिक डीजल इंजन और जेनेरेटर कार परिचालित होते हैं जिनमें लगभग 2.7 अरब लीटर डीजल की खपत होती है।
रेलवे को डीजल के मद में तकरीबन 15 हजार करोड़ रुपए का खर्च करना पड़ता है। रेल मंत्री के अनुसार पांच फीसदी यानी लगभग 13.5 करोड़ लीटर बायोडीजल का उपयोग संभावित है।
रेल मंत्री ने कहा कि खनिज डीजल और बायो डीजल के मिश्रण से इंजनों के परिचालन के सभी प्रकार के परीक्षण हो चुके हैं और वे तकनीकी मानकों पर खरे उतरे हैं। इस प्रयोग से कार्बन उत्सर्जन को कम करने में उल्लेखनीय मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि रेल मंत्रालय ने वैकल्पिक इट्वधन संगठन की स्थापना की है और उसे निजी सरकारी साझेदारी (पीपीपी) माडल पर बायोडीजल संयंत्र लगाने को कहा गया है। इस बीच रेलवे सूत्रों ने बताया कि रेल मंत्रालय ने पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय को बायोडीजल के संंबंध में नीति में बदलाव करके रेलवे जैसे बड़े पैमाने पर उपयोग करने वाली संस्थाओं एवं उद्योगों को प्राधिकृत तेल विपणन कंपनियों के अलावा निजी निर्माताओं से भी बायोडीजल खरीदने की छूट देने का अनुरोध किया है।
रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने कहा कि बायोडीजल की पर्याप्त उपलब्धता एवं प्रतिस्पद्र्धी मूल्य सुनिश्चित किया जाना होगा। बायोडीजल के उत्पादन के लिए कच्चा माल रतनजोत यानी जटरोफा की आपूर्ति जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस समय देश में बायोडीजल की कोई खुदरा विपणन एजेंसी नहीं है। इसलिए सबसे पहले इसे रेलवे के साथ-साथ सड़क परिवहन में भी लोकप्रिय बनाने की जरूरत है।