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हिन्दू समाज का संगठित होना अत्यंत आवश्यक : साध्वी हेमलता शास्त्री - Sabguru News
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हिन्दू समाज का संगठित होना अत्यंत आवश्यक : साध्वी हेमलता शास्त्री

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हिन्दू समाज का संगठित होना अत्यंत आवश्यक : साध्वी हेमलता शास्त्री
sadhvi Hemalatha Shastri Speech at saraswatipuram
sadhvi Hemalatha Shastri Speech at saraswatipuram
sadhvi Hemalatha Shastri Speech at saraswatipuram

जावरा। ऊंच-नीच, अगडे-पिछड़े से, वर्ण-दलित, गरीब-अमीर जैसे भाव हिन्दू समाज के लिए अत्यन्त घातक है और ये राष्ट्र को पतन की और ले जाने वाले हैं। वेद-पुराण आदि शास्त्रों में इनके लिए कोई स्थान नहीं दिया गया है। ये भाव विकृति के सूचक है।

आज हिन्दू समाज का संगठित होना अत्यन्त आवश्यक है। उपरोक्त विचार मथुरा-वृन्दावन की साध्वी हेमलता शास्त्री ने विभिन्न समाज प्रमुखों और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों को सम्बोधित करते हुए सरस्वती पुरम परिसर में व्यक्त किए।

आपने कहा कि इस देश की राष्ट्रीयता हिन्दूत्व ही है। यही इस राष्ट्र की पहचान है। विश्व भारत को हिन्दूत्व रूपी आध्यात्मिकता से जानता है न कि यहां की जातियों की विभिन्नताओ से। हिन्दूत्व का कार्य राष्ट्रीयता का ही कार्य है। हिन्दूत्व ही एक ऐसा विचार हैं जिसमें राष्ट्र को मां माना गया है।

गाय को हम पशु नहीं माता कहते है। जल, पर्वत, नदी, वृक्ष, को दैवतुल्य मानते हैं ऐसा श्रेष्ठ विचार दर्शन मानव-मानव में भेद नहीं कर सकता। आपने प्रतिकूल परिस्थितियों में भी राष्ट्र के लिए सतत् बढने का आव्हान करते हुए कहा कि हिन्दुत्व का कार्य ईश्वरीय कार्य हैं यही कार्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ निरंतर कर रहा है। यह राम का काम हैं इससे विराम कैसा?

संघ हिन्दू समाज के लिए प्रतिबद्ध है

इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उज्जैन विभाग के सहकार्यवाह रघुविर सिंह सिसोदिया ने अपने उद्बोधन में कहा कि वर्तमान वर्ष संघ के तृतीय सरसंघचालक प.पु. बालासाहब देवरस की जन्मशताब्दी का वर्ष है जो सम्पूर्ण राष्ट्र समरसता वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है।

संघ समरस हिन्दू समाज के लिए प्रतिबद्ध है। आपने कहा कि हिन्दू दर्शन ‘सब में एक ही ब्रह्म’ देखता है। मीरा बाई क्षत्रिय थी परन्तु उनके गुरू संत रविदास (चर्मकार) थे। सन्त रामानुजाचार्य मन की शुुद्धि के लिए दलित बन्धु माने जाने वालों को हदय से लगाते थे। भगवान राम ने शबरी को माता समान माना, केवल और निषादराज को भाई के समकक्ष माना। जब भगवान भेदभाव नहीं देखते तो हम क्यों देखते है।

हिन्दू दर्शन में ऊंच-नीच का स्थान नहीं

देवरस जी कहा करते थे कि यदि अस्पृश्यता पाप नहीं तो दुनिया ने कुछ भी पाप नहीं है। डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने जीवन भर अस्पृष्यता का विष पिया परन्तु प्रलोभनों के बाद भी ईस्लाम या ईसाई मत ग्रहण नहीं किया अपितु वे बौद्ध हो गए। वे जानते थे कि हिन्दू धर्म दर्शन में ऊंच-नीच को स्थान नहीं हैं यह सामाजिक विकृतियों के कारण है। अब इन विकृतियों को ही हमें दूर करना हैै।

कार्यक्रम के पूर्व साध्वी हेमलता शास्त्री,जिला संघचालक शंकरलाल पाटीदार और विभाग सह कार्यवाह रघुविर सिंह सिसोदिया ने मां सरस्वती और भारतमाता का पूजन कर दीप प्रज्वलित किया। इस अवसर पर जिला प्रचारक महेश यादव, नगर कार्यवाह गजेन्द्र वर्मा आदि उपस्थित थे। संचालक तेजराम मांगरोदा ने किया।