सबगुरु न्यूज-माउण्ट आबू। सहकार भारती के तत्वावधान में रविवार दोपहर हो हिलटाॅन होटल में आयोजित राजस्थान अरबन को-आॅपरेटिव बैंक प्रकोष्ठ की बैठक में सहकार भारती से सदस्यों ने आरबीआई व सरकार की ओर से सहकारिता क्षेत्र में सुधारात्मक कदम नहीं उठाने की पीडा उभरकर सामने आई। बैठक में सहकार भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष ज्योतिर्मय मेहता ने कहा सहकारी बैंकों पर रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया के ओवर रेगुलेशन पर सहकारी बैंकों को रणनीतिक कदम उठाने होंगे।
मेहता ने आरबीआई पर आरोप लगाया कि वह सहकारी बैंकों को लकवाग्रस्त करने का प्रयास कर रही है, इन प्रयासों को बंदं किया जाना चाहिए। मेहता ने सहकारी बैंकों को नसीहत दी कि वह संगठित होकर एक अंब्रेला के नीचे आए और इसके माध्यम से सहकारी बैंकों व सोसायटियों को तकनीकी और व्यावसायिक दृष्टि से सुदृढ करे। उन्होंने कहा कि एक संगठन के रूप में एक छत के नीचे आकर गुजरात में सहकारिता के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्य किए गए हैं। उन्होंने बताया कि हमें नाॅर्थ-ईस्ट में काम कर रहे को-आॅपरेटिव बैंकों को भी अपने से जोडना होगा। वे अलग-थलग पडे हैं। उन्हें यहां से जोडकर उनकी कार्यप्रणाली को हमें और हमारी कार्यप्रणाली से उन्हें अवगत करवाना होगा। मेहता ने कहा कि को-आॅपरेटिव बैंकों को अपने स्टाफ का व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा के लिए अपग्रेड करना होगा। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में यदि को-आॅपरेटिव बैंकों ने खुदको तकनीकी रूप से सुदृढ नहीं किया तो वह खतम हो जाएंगे। उन्होंने माधवपुरा मर्केंटाइल बैंक के घोटाले के बाद सहकारी बैंकों पर लगे ग्रहण का उदाहरण देते हुए कहा कि पहले हम गलत कामों की वजह से कमजोर हुए तो अब सहकारी बैंकों के लिए अच्छा नहीं करने पर हमारे विकास में बाधा आ सकती है।
सहकार भारती के राष्ट्रीय संरक्षक सतीश मराठे ने आने वाले समय में मोबाइल वाॅलेट से सहकारी बैंकों को पैदा होने वाले खतरों से आगाह करते हुए कहा यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस सहकारी बैंकों के लिए सबसे बडा खतरा बनकर उभर रहा है। उन्होंने बताया कि इससे एक से डेढ लाख रुपये तक के ट्रांजिक्शन मोबाइल से मोबाइल में होने से सबसे बडा प्रभाव सहकारी बैंकों पर पडेगा क्योंकि ये छोटे-छोटे ट्रांजिक्श नही सहकारी बैंको की रीढ है। इसलिए सहकारी बैंकों को डिजिटाइज करना होगा। इससे आॅपरेशन काॅस्ट में 70 प्रतिशत तक की कटौती होगी, जिसका सीधा लाभ ग्राहकों को दिया जा सकेगा।
सहकार भारती के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकेश मोदी ने सहकारिता को लेकर पूर्ववर्ती सरकार की नीति को वर्तमान सरकार से बेहतर होने की बात कहते हुए राजस्थान सरकार की ओर से सहकारी बैंकों में प्रशासक थोपने के कानून की निंदा की। उन्होंने कहा कि देश की विडम्बना यह रही है कि नेहरू से लेकर मोदी तक और पहले आरबीआई गवर्नर से लेकर वर्तमान रघुराम राजन तक देश की अर्थ व्यवस्था की दशा और दिशा निर्धारित नहीं कर पाई है।
उन्होंने कहा कि दुनिया साम्यवाद, पूंजीवाद व समाजवाद का हश्र देख चुकी है। इसलिए सहकारिता ही एकमात्र मार्ग है जिससे देश फिर से सोने की चिडिया के अपने पुराने गौरव को हासिल कर सकता है। आप पढ रहे है सबगुरु न्यूज। उन्होंने आह्वान किया कि पीडित सहकारी बैंक उन्हें मिले अधिकारों के तहत सरकार की उन्मूलन कारी नीति के खिलाफ उठकर खडी होवे और न्यायालय के माध्यम से इसका प्रतिकार करे। इसमें सहकार भारती उनका पूरा समर्थन करने का भरोसा देती है।
सहकार भारती के मंत्री विजय देवांगन ने कहा कि सहकार भारती आने वाले समय में सहकारिता से जुडे हर विषय का समाधान करवाएगी। जिस स्तर पर पहुंचनी है उस स्तर तक पहुंचायी जाएगी। देवांगन ने भी अप्रत्यक्ष रूप से वर्तमान केन्द्र और राज्य की भाजपा सरकारों की सहकारी क्षेत्र की बैंकों के लिए किए जा रहे कार्यों पर असंतोष जताते हुए कहा कि सरकारें जिस भाषा में समझती है उसे उस भाषा में समझाएंगे।
उन्होंने आह्वान किया कि यदि सरकार सहकारिता के क्षेत्र में सहकारिता के क्षेत्र बेहतर करने के लिए दिल्ली जाकर आंदोलन करने तक की तैयारी रखें। सहकार भारती वहां तक जाएगी। उन्होंने कहा कि सहकारिता के क्षेत्र में बदलाव के लिए माॅडल कानून बनाकर इसे सरकारों के सामने रखें। उन्होंने यह भी कह दिया कि यदि इस कालखण्ड में यह नहीं हो सका तो फिर भविष्य की सरकारों से अपेक्षा करना बेमानी होगी।