नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह प्रमुख्य सुब्रत राय से सवाल किया कि 10 हजार करोड़ रूपएका प्रबंध करना उनके लिए इतना मुश्किल हो रहा है तो वह जेल से बाहर आने के बाद 30 हजार करोड़ रूपए कैसे जुटा पाएंगे।
कोर्ट ने जमानत के लिए धन जुटाने में दिक्कतों का सामना कर रहे राय से सवाल किया कि जब आपको 10 हजार करोड़ रूपए जुटाने में इतनी मशक्त करनी पड़ रही है तो जेल के बाहर जाने पर आप 30 हजार करोड़ रूपए का बंदोबस्त कैसे करेंगे।
सहारा समूह के वकीलों राजीव धवन, एस गणेश एवं गौतम अवस्थी ने न्यायाधीश तीर्थ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ से आग्रह किया कि राशि जुटाने के लिए चार सप्ताह का और समय दिया जाए ताकि खरीदारों से बातचीत अंतिम चरण में पहुंच सके।
शीर्ष न्यायालय ने इसके लिए वकीलों को बकायदा आवेदन देने को कहा। वकीलों ने न्यायालय के अपील की कि राशि जुटाने को लेकर तीन विभिन्न कंपनियों से चल रही बातचीत में खासी प्रगति हुई है लेकिन इसे अंतिम चरण में पहुंचने के लिए कम से कम 4 सप्ताह का समय और लग जाएगा। अत: 10 करोड़ रूपए जुटाने के लिए चार सप्ताह का और समय दिया जाए।
सहारा समूह ने निवेशकों की राशि लौटाने के लिए जेल में बाचतीत करने के लिए राय को मिली सुविधाओं को भी छह सप्ताह और बढ़ाए जाने की शीर्ष न्यायालय से गुहार लगाई। इस पर न्यायालय ने कुछ भी नहीं कहा।
न्यायालय ने इससे पहले राय को जेल में दी गई यह सुविधा 20 फरवरी तक बढ़ा दी थी। सहारा समूह के एक वकील ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि इस मसले पर बुधवार अथवा गुरूवार को सुनवाई होने की संभावना है।
सहारा समूह अदालत के अवमानना के आरोप में गत मार्च से जेल में बंद सुब्रत राय की जमानत के लिए 10 हजार करोड़ रूपए नहीं जुटा पाया है। सहारा प्रमुख पर निवेशकों के धन की हेराफेरी का मामला है।