लखनऊ। समाजवादी पार्टी में बाप, बेटे और चाचा के बीच चल रही राजनीतिक नूराकुश्ती अभी भी जारी है।
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बीच चली करीब साढ़े तीन घण्टे की बैठक में तय हुआ कि प्रत्याशियों का चयन हम दोनों मिलकर करेंगे। इसमें किसी प्रकार का दखल चाचा शिवपाल सिंह यादव का नहीं होगा।
उल्लेखनीय है कि मुलायम सिंह यादव 1 जनवरी को बेटे अखिलेश यादव द्वारा किए गए विशेष राष्ट्रीय अधिवेशन को असंवैधानिक बताया था और उसके खिलाफ सोमवार को चुनाव आयोग गए थे।
वे अपने को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बताया और कहा कि उनके बिना अनुमति के अधिवेशन नहीं बुलाया जा सकता। लिहाजा पार्टी के सिंबल पर उन्हीं का अधिकार है।
मंगलवार को मीडिया गलियारे में कयास लगाए जाने लगे कि मुलायम और अखिलेश के बीच सुलह हो सकती है। इन्हीं खबरों के बीच मंगलवार को सीएम अखिलेश यादव मुलायम सिंह से मिलने उनके आवास पहुंचे।
सूत्रों की मानें तो बैठक में बाप और बेटे के बीच तय हुआ कि प्रत्याशियों का चयन हम दोनों ही मिलकर करेंगे, इसमें किसी का दखल स्वीकार्य नहीं है।
वहीं आजम खां ने अपने एक बयान में कहा है कि सपा के आपसी विवाद से मुस्लिम समुदाय नाराज है।
सूत्रों के अनुसार मुलायम सिंह यादव ने नारद राय और ओम प्रकाश सिंह को तलब किया है, दोनों ही शिवपाल खेमे के नेता माने जाते हैं।
इससे पहले मीडिया से वार्ता करते हुए शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि मुझे बैठक के बारे में नहीं पता है, अगर नेताजी बुलाते हैं तो जरूर जाऊंगा।
शिवपाल के बयान आने के कुछ देर बाद ही खुद शिवपाल अपने बेटे आदित्य के साथ मुलायम आवास पहुंच गए।
सूत्रों के अनुसार अभी भी मुलायम और अखिलेश में सुलह की गुंजाइश बनी हुई है। टिकटों के बंटवारे के अधिकार से लेकर संगठन में बदलाव और कुछ प्रमुख लोगों की पार्टी में अधिकार मिलने पर अखिलेश पिता मुलायम के समक्ष सरेंडर कर सकते हैं।
यह भी चर्चा है कि पिता-पुत्र में सहमति बनी है कि अखिलेश यादव सपा का अध्यक्ष पद छोड़ देंगे।
सूत्रों के अनुसार अखिलेश की एक शर्त ये भी है कि शिवपाल यादव को राष्ट्रीय राजनीति में भेज दिया जाए, क्योंकि प्रदेश में रहकर दोनों साथ काम नहीं कर सकते।
गौरतलब है कि अखिलेश अमर सिंह के साथ ही शिवपाल के ऊपर भी पार्टी के खिलाफ षड्यंत्र रचने का आरोप सार्वजनिक तौर पर लगा चुके है।
वहीं मंगलवार को अखिलेश खेमे की तरफ से प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने चुनाव आयोग में दावा पेश कर दिया है। उनका कहना है कि साइकिल चुनाव निशान उनका है और पार्टी पर भी उन्हीं का हक है।
रामगोपाल ने यह भी कहा है कि मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बीच हुई वार्ता का कोई मतलब नहीं हैं। कोई फैसला नहीं हो सकता है। मामला चुनाव आयोग पहुंच चुका है, जो निर्णय आयोग सुनाएगा, वही मान्य होगा।