लखनऊ। समाजवादी पार्टी में चाचा और भतीजे के बीच चल रही तल्खी रह-रह कर सामने आ रही है। बुधवार को भी जब शिवपाल से अखिलेश की रथयात्रा के बारे में पूछा गया तो वह इस सवाल को टाल गए। बोले कि अभी वह रजत जयंती की तैयारियों में जुटे हैं।
सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल बुधवार को पार्टी कार्यालय में रजत जयंती की तैयारी को लेकर लोहिया वाहिनी की बैठक कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि पार्टी का संगठन सरकार से बड़ा है। उन्होंने कहा कि संगठन में मैंने न पूछे जाने वाले लोगों को तरजीह दी। ऐसे लोगों ने सरकार का भी मजा नहीं लिया।
पार्टी के लिए लोगों ने बहुत संघर्ष किया है। मैं भी कई बार जेल गया। भीड़ देख कर मैं उत्साहित हूं। पार्टी को खड़ा करने में नेताजी (मुलायम सिंह यादव) का बहुत बड़ा संघर्ष रहा है। गलत काम का मैंने सरकार में रहते हुए भी विरोध किया।
शिवपाल ने बगैर नाम लिए पार्टी के निष्कासित महासचिव प्रो रामगोपाल यादव पर भी निशाना साधा। कहा कि बिहार के बाद उड़ीसा में भी गठबंधंन की योजना थी लेकिन हमारी पार्टी में ही लोगों ने साजिश कर दी। उन्होंने कहा कि मैं अपना अपमान बर्दाश्त कर सकता हूं लेकिन, नेताजी का अपमान नहीं सह सकता।
उन्होंने कहा कि लोगों को समाजवादी इतिहास पढ़ना होगा। पार्टी में अनुशासन भी जरूरी है। शिवपाल ने कहा कि 24 अक्टूबर को आपने देखा ही क्या हुआ, जिनको नहीं आना था वे भी आ गए थे। उन्होंने कहा कि रजत जयंती के बाद वह भी फील्ड में निकलेंगे। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सरकार बनाने के लिए साम, दाम, दंड और भेद सबका इस्तेमाल करना होगा।
बैठक के बाद शिवपाल से जब पत्रकारों ने मुख्यमंत्री की रथयात्रा के बारे में पूछा तो वह गोलमटोल जवाब देने लगे। कहा कि अभी रजत जयंती की तैयारी में लगा हूं। मेरा पूरा फोकस पांच नवम्बर को आयोजित होने वाली रजत जयंती पर है।
ऐसे में गुरुवार को मुख्यमंत्री की रथयात्रा शुरु होने के मौके पर शिवपाल के पहुंचने में संदेह व्यक्त किया जा रहा है। हांलाकि, सपा मुखिया मुलायम इसमें शिरकत कर सकते हैं। अखिलेश सर्मथकों का मानना है कि मुलायम ही मुख्यमंत्री की रथयात्रा को हरी झंडी दिखाएंगे। वह आज ही दिल्ली से वापस लखनऊ पहुंचे हैं। लेकिन रथयात्रा से शिवपाल की बढ़ती दूरी ने सपा परिवार के बीच चल रहे घमासान को और बल दे रहा है। इसको लेकर राजधानी में अटकलों का बाजार गर्म है।
राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि चाचा-भतीजे की रार रुकने वाली नहीं है। पार्टी भी दो धड़े में बंट चुकी है। ऐसे में रथयात्रा और रजत जयंती के बहाने अखिलेश और शिवपाल अपने शक्ति प्रदर्शन में लगे हुए हैं और एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश में हैं।