फर्रुखाबाद। समाजवादी पार्टी में विधानसभा चुनाव-2017 से ठीक पहले मची रार को लेकर अब पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव भी खुलकर सामने आ गए हैं। उन्होंने साफ कहा है कि पार्टी में अब समझौते की कोई सम्भावना नहीं है।
नेता जी ने एक जनवरी को बैठक के लिए बुलाया था, लेकिन 29 को ही प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी गई। ऐसे में रामगोपाल अब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सूची को असली बताते हुए दावा कर रहे हैं कि इसी में शामिल लोग चुनाव लड़ेंगे।
पार्टी सिम्बल को लेकर होगा अलग कदम!
सपा महासचिव ने यह भी कहा कि निर्वाचन आयोग तय करेगा कि सपा के सिम्बल पर अखिलेश के प्रत्याशी लड़ेंगे या नेता जी के। उन्होंने साफ कहा कि वह पहले भी अखिलेश के साथ थे और आज भी हैं। इससे इस बात की भी प्रबल आशंका जताई जा रही है कि अखिलेश गुट सपा के चुनाव चिन्ह को लेकर अपना दावा ठोक सकता है।
रामगोपाल के पहले भी निर्वाचन आयोग के अधिकारियों से मिलने की खबरें आई हैं। माना जा रहा है कि अखिलेश अगर पार्टी सिम्बल लेने को लेकर कोई कदम उठाते हैं, तो उन्हें रामगोपाल पूरा समर्थन मिलेगा।
इससे पहले प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव भी उन पर पार्टी को कमजोर करने का आरोप लगा चुके हैं, जिसके बाद रामगोपाल को पार्टी से बाहर कर दिया गया था। हालांकि उनकी वापसी हुई, लेकिन एक बार फिर उन्होंने अखिलेश के फैसले का खुला समर्थन करके पुरानी चर्चाओं को फिर हवा दे दी है।
यूपी की सियासी फिज़ाओं में ये तमाम अटकलें इसलिए भी चर्चाओं में हैं, क्योंकि शिवपाल यादव स्वयं अखिलेश पर अपनी अलग पार्टी बनाने की बात कहने का आरोप लगा चुके हैं। इस बीच रामगोपाल शुक्रवार को पार्टी मुखिया मुलायम सिंह से मिलने लखनऊ भी पहुंचे।
चुनाव के बाद सपा नए स्वरूप में आएगी नज़र
इससे पहले रामगोपाल यादव ने कहा कि प्रदेश की जनता अखिलेश यादव के साथ है। इस बार के विधानसभा चुनाव के बाद ही समाजवादी पार्टी का एक नया स्वरुप सबके सामने होगा। जो व्यक्ति खुद चुनाव नहीं लड़ सकते, वही टिकट को लेकर काफी लड़ाई करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब जो भी अखिलेश के विरोधी है, वह हमारे विरोधी हैं। मैं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के प्रत्याशियों के लिए प्रचार करूंगा।
अखिलेश को पद से हटाना विवाद की जड़
सपा महासचिव ने नाम लिए बगैर कहा कि समाजवादी पार्टी में एक ही व्यक्ति अखिलेश यादव के खिलाफ लगातार षड़यंत्र कर रहा है। वह भी ऐसा व्यक्ति है कि जिसके पास दस वोट भी नहीं हैं। वह नेता पार्टी के बाहर का आदमी नहीं है। उनकी तो इतनी भी हैसियत नहीं किसी विधानसभा मे 10 वोट भी डलवा ले। इस एक व्यक्ति के कहने पर नेताजी ने अखिलेश को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया। विवाद की जड़ यही है।
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