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samajwadi party senior leader shivpal singh yadav may join BSP?
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समाजवादी पार्टी के विभीषण हो सकते हैं शिवपाल यादव!

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समाजवादी पार्टी के विभीषण हो सकते हैं शिवपाल यादव!
samajwadi party senior leader shivpal singh yadav may join BSP?
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लखनऊ। भारत निर्वाचन आयोग के निर्णय के बाद उत्तर प्रदेश की सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव के बीच समझौता तो हो गया लेकिन, शिवपाल और उनका गुट अभी भी वर्चस्व को लेकर परेशान है।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि अपने गुट की उपेक्षा के चलते शिवपाल सपा के विभीषण साबित हो सकते हैं। सूत्रों की माने तो अंबिका चैधरी का शनिवार को बसपा में शामिल होना अनायास ही नहीं है। वह पिछले तीन दशक से मुलायम और शिवपाल के करीबी रहे हैं।

खबर है कि अभी कई और नेता सपा छोड़कर बसपा का दामन थाम सकते हैं। दरअसल मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अंबिका चैधरी, अतीक अहमद, रामपाल, नारद राय, मैनपाल सिंह उर्फ पिंटू राणा समेत शिवपाल के करीब 62 करीबियों का टिकट काट दिया है। इससे शिवपाल गुट काफी नाराज है।

इस नाराजगी के चलते कई नेता बसपा में जाने की फिराक में हैं। अंबिका चैधरी ने आज इसकी शुरुआत भी कर दी। उधर बसपा सुप्रमो मायावती भी शिवपाल को लेकर काफी नरम हैं। आज अंबिका चैधरी को पार्टी में शामिल करते वक्त उन्होंने कहा कि सपा के पूर्व प्रमुख मुलायम सिंह के चलते शिवपाल यादव बलि का बकरा बन गए।

यह पूछने पर कि क्या वह शिवपाल को भी बसपा में शामिल करेंगी, मायावती ने कहा कि यदि वह आते हैं तो देखा जाएगा। पूर्व में भी मायावती कई बार शिवपाल के प्रति नरमी दिखा चुकी हैं।

पिछले दिनों जब सपा में भयंकर घमासान मचा था और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शिवपाल समेत कई मंत्रियों को मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया था तो उस समय भी मायावती ने कहा था कि मुलायम पुत्रमोह में फंस गये हैं और शिवपाल को बलि का बकरा बनाया जा रहा है।

इसके अलावा सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद अखिलेश ने शिवपाल के कई फैसलों को पलट दिया। प्रदेश अध्यक्ष के रुप में शिवपाल द्वारा निकाले गये सपा के नेताओं को अखिलेश ने पार्टी में फिर से वापस ले लिया है।

साथ ही शिवपाल की जिन नेताओं से दूरी है अखिलेश ने उन सभी को विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी बना दिया और शिवपाल के लगभग सभी करीबियों का टिकट काट दिया। हालांकि अखिलेश ने शिवपाल को उनके पुराने विधानसभा क्षेत्र जसवंतनगर से पार्टी का टिकट दिया है।

गौरतलब है कि सपा में वर्चस्व को लेकर अखिलेश और चाचा शिवपाल के बीच पिछले कई महीने से घमासान मचा हुआ था। बाद में टिकट बंटवारे को लेकर पिता (मुलायम) और पुत्र (अखिलेश) में भी ठन गयी। पार्टी अंततः विभाजन के करीब आ गई और चुनाव चिन्ह साइकिल पर कब्जे को लेकर दोनों पक्ष चुनाव आयोग तक पहुंच गए।

चुनाव आयोग ने 17 जनवरी को अपने निर्णय में अखिलेश यादव को सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष मानते हुए उनके गुट को पार्टी का चुनाव चिन्ह साइकिल दे दिया। आयोग के इस निर्णय के बाद मुलायम समेत उनके गुट के सभी नेताओं ने अखिलेश के ही नेतृत्व में चुनाव लड़ने का निर्णय लिया और पार्टी में चल रहे विवाद को खत्म करने का संकेत दिया।

मुलायम ने उसी वक्त पार्टी प्रत्याशियों की एक सूची भी अखिलेश को सौंपी, लेकिन जब पार्टी की तरफ से सपा उम्मीदवारों की पहली सूची जारी हुई तो उनमें शिवपाल के कई करीबियों के नाम गायब थे।

इस सूची के जारी होने के बाद ही सपा में शिवपाल के करीबियों के बीच हड़कंप मचा हुआ है। सूत्रों का कहना है कि ऐसी स्थिति में अखिलेश को चुनाव में सबक सिखाने के लिए शिवपाल के करीबी नेता अब पाला बदलने में लग गए हैं।