लखनऊ। विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद भी समाजवादी पार्टी में स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाई है।
एक तरफ पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म खां जहां मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात कर समस्या के समाधान में जुटे हैं। वहीं दूसरी तरफ सीएम अखिलेश ने बातचीत के साथ अब चुनाव की तैयारियों की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं।
इसी कड़ी में गुरुवार को मुख्यमंत्री ने विधायकों की बैठक बुलाई है। माना जा रहा है कि अखिलेश विधायकों से समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर करवा सकते हैं। इसके बाद उनकी ओर से साइकिल चुनाव चिन्ह हासिल करने के लिए इसे चुनाव आयोग को सबूत के तौर पर पेश किया जा सकता है।
बैठक में पार्टी के मौजूदा हालात और चुनाव की तैयारियों को लेकर भी चर्चा होने की बात कही जा रही है। इसके अलावा पार्टी का विवाद नहीं सुलझने की स्थिति में रणनीति बनाने, साइकिल चुनाव चिन्ह जब्त होने या नहीं मिलने की स्थिति में कदम उठाने को लेकर फैसले लेने की भी चर्चा है।
माना जा रहा है कि मुख्मयंत्री अखिलेश यादव कांग्रेस से गठबन्धन सहित अन्य मुद्दों पर भी समर्थकों की राय लेंगे। बैठक को लेकर गुरुवार सुबह से ही मंत्रियों, विधायकों का पांच कालिदास मार्ग स्थित सीएम आवास पर पहुंचना शुरू हो गया।
इनमें मंत्री तेज नारायण पाण्डेय, राममूर्ति वर्मा, मंत्री अहमद हसन, विधायक राकेश सिंह, उदयवीर सिंह, रवीदास मेहरोत्रा सबसे पहले पहुंचाने वालों में से थे।
सपा में हुए तख्तापलट को लेकर एक अहम बात यह भी है कि चुनाव आयोग ने मुलायम और अखिलेश गुट को अलग-अलग नोटिस जारी की है, जिसमें उनसे 9 जनवरी तक यह बताने को कहा है कि कितने विधायक, एमएलसी और एमपी का समर्थन उन्हें प्राप्त है।
इस नोटिस के साथ ही आयोग की तरफ से मुलायम द्वारा दाखिल किए गए दस्तावेज, अखिलेश गुट को और रामगोपाल द्वारा दाखिल दस्तावेज मुलायम गुट को भेजे हैं। वहीं दोनों खेमों में अभी तक कोई बात नहीं बन पाई है।
अखिलेश गुट के प्रो. रामगोपाल ने किसी भी तरह के समझौते से इन्कार कर कहा है कि अखिलेश ग्रुप ही समाजवादी पार्टी है क्योंकि उसके पास 80-90 फीसदी नेताओं का समर्थन है। उनका कहना है कि प्रत्याशियों की लिस्ट जल्द ही जारी कर दी जाएगी।
उन्होंने किसी भी दल से गठबन्धन से साफ इनकार करते हुए अकले ही सभी 403 सीटों पर प्रत्याशी उतारने की बात कही है। वहीं बुधवार को मुलायम और अखिलेश की लम्बी बैठक के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकल सका था।