बांदीकुई। बहुचर्चित समलेटी बम कांड मामले में आरोपी पप्पू उर्फ सलीम को बांदीकुई के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाल ने मंगलवार को उम्रकैद की सजा सुनाई है। सलीम पहले सरकारी गवाह बना था लेकिन बाद में वह अपने बयानों से मुकर गया।
अदालत ने सलीम को बमकांड का षड़यंत्र रचने वाले गिरोह का सदस्य मानते हुए उसे दोषी करार दिया। गौरतलब है कि 22 मई 1996 को राजस्थान के बीकानेर आगर की बस आगरा से बीकानेर के लिए रवाना हुई थी। बस में करीब 50 यात्री सवार थे।
इनमें दो यात्री जो कि जयपुर जाने वाले थे महुआ बस स्टेंड पर उतर गए। उन्होंने कंडक्टर को अपने टिकट यह कहते हुए लौटा दिए कि इससे किसी गरीब का भला कर देना। इसके बाद बस महुआ से तीन चार किलोमीटर चलकर राष्ट्रीय राजमार्ग 11 पर समलेटी गांव पहुंची और बस में विस्फोट हो गया।
हादसे में 14 लोगों की मौत गई और 37 लोग घायल हुए। बस कडंक्टर अशोक कुमार शर्मा ने गंभीर रूप से घायल अवस्था में पर्चा बयान दिए। इसके आधार पर आईपीसी की धारा 302, 307 के तहत मामला दर्ज किया गया। जांच के दौरान बम प्लांट करने वाले पूरे गिरोह का पर्दाफाश हुआ।
इनके खिलाफ चालन पेश किया गया। बांदीकुई एडीजी कोर्ट ने इस मामले में 29 सितंबर 2014 को अपना फैसला सुनाया और डॉ. अब्दुल हमीद को फांसी और अन्य छह आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी।
पुलिस ने इस मामले में पप्पू उर्फ सलीम निवासी पराह जिला मथुरा को पहले सरकारी गवाह बनाया था लेकिन वह कोर्ट में अपना बयानों से पलट गया। कोर्ट ने सलीम को पक्षद्रोही घोषित किया।
सलीम के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर मुकदमा चलाया गया। अदालत ने उसे बमकांड का षड्यंत्र रचने वाले गिरोह का सदस्य मानते हुए उसे दोषी करार दिया।