अजमेर। सशक्त महिला वर्तमान की आवश्यकता व सुखद भविष्य की अनिवार्यता है। आज जितनी आवश्यकता वृक्षारोपण की है उतनी ही आवश्यकता बेटी को बचाने की भी है। यह विचार डॉ भारती प्रकाश ने बीकानेर के स्वामी केशवानन्द कृषि विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर अध्ययन विभाग की ओर से ‘महिला सशक्तिकरणः चुनौतियों एवं सम्भावनाएं’ विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में रखें।
महिला सशक्तिकरण की इस संगोष्ठी के तकनीकी सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए उन्होनें कहा की वर्तमान में संविधान के अनुच्छेद 21, जीने का अधिकार की आवश्यकता नारी के लिए सर्वाधिक है क्योंकि मान, सम्मान, प्रतिष्ठता एवं सशक्तिकरण जीवन के अस्त्तिव में आने के बाद हैं।
इतिहास का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि उदय सिंह पूर्णत्य सुरक्षित है किन्त दुर्भाग्यवश पन्ना धाय संकट में आ रही है। भ्रुण परीक्षण व उनसे जुडे सामाजिक अपराधों का जिक्र करते हुए डॉ भारती प्रकाश ने कहा कि राजस्थान इस एक्ट के सफल क्रियान्वन में बुलन्दी छू रहा है।
क्योंकि आसपास के नजदीकी राज्यों की तुलना में राजस्थान में पूरी दृढ़ता के साथ इस एक्ट की अनुपालना सुनिश्चित की जा रही है। महिला भ्रुण की डायरी के एक पन्ने की प्रस्तूति करते हुए उन्होंने बताया कि समय आ गया है उन नन्ही ऊंगलियों को अपनी डायरी पूरी भरने के लिए पूरा अवसर दिया जाए और यह व्यक्ति विषेष, परिवार विशेष, समाज विषेष व सम्पूर्ण राज्य का अनिवार्य एवं प्रथम दायित्व होना चहिए।
डाॅ भारती ने अपनी प्रस्तुति में तथ्यों के माध्यम से स्पष्ट किया कि लिंगानुपात का बढता असन्तुलन केवल बायोलोजिकल समस्या नहीं है अपितु यह विभिन्न समाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, राष्ट्रीय एवं अन्राष्ट्रीय समस्याओे का भयानक समूह है। यदि इसके जाल को अभी नहीं तोडा गया तो यह भविष्य को भयावह ही नहीं बल्कि इसका अन्त भी कर देगा।
इस संगोष्ठी में सम्पूर्ण भारत से विभिन्न क्षेत्रों में महिला सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, शोध, साहित्य, मीडिया, प्रशासन जैसे क्षेत्रों में प्रभावशाली महिलाओं को सम्मानित किया गया।
अजमेर से सम्राट पृथ्वीराज चौहान महाविद्यालय की प्राणीशास्त्र विभाग की प्रवक्ता डाॅ भारती प्रकाश एवं तिरूपति महाविद्यालय केकडी की प्राचार्य डां राजेश्वरी आचार्य को महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में योगदान देने हेतु सम्मानित किया गया।