रीवा। रीवा शहर का संजय गांधी अस्पताल एवं गांधी मेमोरियल अस्पताल आए दिन किसी न किसी मामले को लेकर सुर्खियों में बना रहता है।
विगत दिवस आर्थोपेडिक्स वार्ड में भर्ती मारपीट के मरीज से आपरेशन के नाम पर 10,000 रूपए रिश्वत लेने का मामला अभी पूरी तरह से ठंण्डा भी नहीं हुआ था कि अस्पताल में पदस्थ जूनियर डाक्टरों की लापरवाही कहे या जानबूझ कर की गई घटना की वजह से एक मासूम की असमय मौत हो गई।
अपने कलेजे के टुकड़े की मौत के बार डरे सहमें अनपढ़ दम्पत्ती ने इसे इश्वर की नियत मानकर चुपचाप अपने गृह ग्राम वापस लौट गए और मासूम का अन्तिम संस्कार भी कर दिया किन्तु अपने कलेजे के टुकड़े को असमय खो देने का दर्द एवं उसे न्याय दिलाने के लिए अनपढ दम्पत्ती द्वारा इस मामले की शिकायत जिले में पदस्थ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से भी की जा सकती है।
इस पूरे मामले के बारे में जब जूनियर डाक्टर के हैवानियत का शिकार हुये मासूम अरविन्द कोल उम्र 4 माह के पिता मनीष कुमार कोल निवासी गेरूआर मनोहर नगर थाना गढ़ से चर्चा की तो उनके द्वारा लगभग रोते हुए सारी घटना से अवगत कराया गया।
मासूम के पिता मनीष कुमार कोल द्वारा बताया गया है कि 4 माह पूर्व उसकी पत्नि ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया था और जन्म के बाद बच्चे का वजन नहीं बढ़ पा रहा था।
परेशान परिजनों द्वारा नवजात बच्चे को पहले मऊगंज में दिखाया गया काफी दिनों तक दिखाए जाने पर जब बच्चे को कोई विशेष लाभ नहीं हुआ तो मऊगंज के चिकिस्तसकों की सलाह पर 4 दिसम्बर को मासूम बच्चे के माता पिता उसे लेकर रीवा स्थित संजय गांधी अस्पताल पहुचे और ओपीडी में दिखाया गया।
जहां पर मौजूद चिकित्सकों ने परीक्षण उपरांत बच्चे को संजय गांधी अस्पताल में स्थित बच्चा वार्ड में भर्ती करने के निर्देश दिए।
ओपीडी के चिकित्सकों की सलाह पर बच्चे के परिजनों ने 4 दिसम्बर को ही अपने जिगर के टुकड़े को गांधी मेमोरियल अस्पताल के बच्चा वार्ड में भर्ती कराया दिया। जहां चिकित्सको द्वारा उसका उपचार किया जा रहा था। अपने कलेजे के टुकड़े को खो चुके बच्चे के पिता द्वारा बताया गया है कि कल रात लगभग 10.30 बजे वार्ड में मुकेश सिंह नामक जूनियर चिकित्सक बच्चे के पास पहुचा।
उस समय बच्चा सो रहा था जिसके बाद चिकित्सक ने बच्चे के गाल में दो तमाचे मारे और उसके दोनो पैर पकड़ कर उठाया और जमीन पर पटक दिया। बच्चे के परिजन कुछ समझ ही नहीं पाये की आखिर ये हो क्या रहा है बाद में चिकित्सक ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया और धमकाते हुए बच्चे के परिजनों को बच्चे का मृत शरीर अस्पताल से ले जाने के निर्देश दिए।
डरे सहमें बच्चे के परिजन अपने कलेजे के टुकड़े का मृत शरीर लेकर अपने गृह ग्राम पहुचे। और उसका अंतिम संस्कार कर दिया। किन्तु घटना की जानकारी जब समाज के लोगो एवं ग्रामीणों को हुई तो लोागो ने उसे मामले की शिकायत करने की सलाह दी।
संभवत: बुधवार को बच्चे के परिजन मामले की शिकायत अस्पताल प्रबंधन के साथ साथ जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को भी आवेदन देकर कर सकते है। इस मामले में चिकित्सक का पक्ष् लेने का प्रयास किया पर वे उपलब्ध नहीं हुए।