शिमला। प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में संस्कृत विषय का पढऩा अब जरूरी हो जाएगा। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने सोमवार को शिमला में हिमाचल संस्कृत अकादमी की बैठक के बाद बताया कि प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में संस्कृत को अनिवार्य विषय बनाया जाएगा।
उन्होंने चियोग में स्थित तुंगेश संस्कृत कॉलेज को सरकारी नियंत्रण में लेने के लिए औपचारिकताएं शीघ्र पूरी करने के निर्देश दिए ताकि इसे और बेहतर तरीके से चलाया जा सके।
उन्होंने अकादमी के सदस्यों से कार्यक्रम एवं परियोजनाएं बनाकर केन्द्र सरकार को सौंपने का आग्रह करते हुए कहा कि भारत सरकार के पास संस्कृत महाविद्यालयों एवं अकादमियों के लिए धनराशि की कोई कमी नहीं है।
उन्होंने कहा कि ग्रीक, लेटिन व यहूदी भाषा इत्यादि सहित विश्व की प्रारम्भिक प्रमुख भाषाओं के शैशव काल से भी हजारों वर्ष पूर्व वैदिक संस्कृत भाषा अपनी शुद्ध अवस्था में मौजूद थी।
मुख्यमंत्री ने अकादमी के दर्जे को पूर्ववत बहाल करने को स्वीकृति प्रदान की। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि अकादमी में नियुक्त किए जाने वाले सचिव की आयु सीमा 65 वर्ष से अधिक नहीं होगी और सचिव को पांच वर्ष के कार्यकाल के लिए नियुक्त किया जाएगा। बैठक में सचिव के दर्जे को भी पूर्ववत रखने की स्वीकृति प्रदान की गई।
मुख्यमंत्री ने मासिक पत्रिका दिव्य ज्योति का स्वामित्व अकादमी को हस्तांतरित करने के निर्देश दिए और अकादमी के द्विवार्षिक शोध पत्रिका के प्रकाशन को हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के साथ संयुक्त रूप से प्रकाशित करने की स्वीकृति प्रदान की।
बैठक में मंदिर के पुजारियों को वैदिक पद्धति एवं साहित्य के अनुरूप प्रशिक्षण प्रदान करने को भी स्वीकृति प्रदान की गई।