रायपुर। संत कवि और पूर्व सांसद दिवंगत पवन दीवान को संत परम्परा के अनुरूप वैदिक मंत्रोच्चार के बीच राजिम स्थित किरवई आश्रम में धार्मिक विधि-विधान के साथ समाधि दी गई।हजारों लोगों ने दिवंगत दीवान को नम् आंखों से अंतिम विदाई दी।
दिवंगत आत्मा के सम्मान में एक मिनट का मौन धारण किया गया। मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष सहित अनेक मंत्रियों, जनप्रतिनिधियों, साहित्यकारों और प्रबुद्ध नागरिकों ने दीवान को श्रद्धांजलि दी।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने पवन दीवान को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि देहावसान के बावजूद दीवान छत्तीसगढ़ के ढाई करोड़ लोगों के दिलों में रचे-बसे रहेंगे। उनकी कालजयी रचनाएं कभी समाप्त नहीं होंगी, उनके कालजयी विचार हमेशा लोगों को प्रेरित करते रहेंगे।
मुख्यमंत्री आज अपरान्ह छत्तीसगढ़ की तीर्थ नगरी राजिम में महानदी के किनारे सन्त पवन दीवान के ब्रम्हचर्य आश्रम परिसर में आयोजित श्रद्धांजलि सभा को सम्बोधित कर रहे थे।
श्रद्धांजलि सभा को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ की जनता के लिए दीवान क्या-क्या नहीं थे? वे एक सन्त थे, संवेदनशील कवि थे, साहित्यकार थे और राजनीतिज्ञ भी थे उनके निधन से छत्तीसगढ़ और राज्य के बाहर भी उनके लाखों श्रद्धालुओं और चाहने वालों का दिल भर आया है।
दीवान जी की वाणी कभी शीतल हवा के झोकों की तरह ठण्डक का अहसास कराती थी तो कभी उनके ओजस्वी विचार तूफान की तरह लोगों को उद्वेलित करते थे। उनका भागवत प्रवचन सबको मंत्रमुग्ध कर देता था।
डॉ. सिंह ने कहा कि स्वर्गीय पवन दीवान अपने सहज-सरल व्यक्तित्व और व्यवहार की वजह से शत-प्रतिशत छत्तीसगढ़िया का जीवित स्वरूप थे। राजनीति में रहते हुए भी राजनीति के छल-छिद्र से कोसों दूर रहकर जनसेवा में लगे रहते थे।
उनके आत्मीय व्यवहार से हर किसी को उनके साथ अपनी निकटता का ऐहसास होता था। ऐसे सन्त और जन-नायक विरले ही होते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा- छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण की कल्पना को साकार करने में दीवान ने अहम भूमिका निभाई। दिल्ली तक उनकी आवाज गूंजी और उसका असर हुआ। छत्तीसगढ़ की जनभावनाओं को उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से वाणी दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पवन दीवान की स्मृतियों को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए अगले छह माह के भीतर ‘दीवान स्मृति ग्रंथ’ का प्रकाशन कराया जाएगा। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि दीवान की मंशा के अनुरूप माता कौशल्या का मंदिर भी बनवाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने दीवान के निश्छल ठहाकों को याद करते हुए कहा कि हम सब उम्मीद कर रहे थे कि वे अस्पताल से स्वस्थ होकर लौटेंगे, लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि आज दुःख इस की बेला में छत्तीसगढ़ के गांव-गांव से उनके अंतिम दर्शनों के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी है, जो उनकी अपार लोकप्रियता का परिचायक है।
विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल ने अपने शोक उद्गार में पवन दीवान को छत्तीसगढ़ महतारी का सच्चा सपूत बताया। उन्होंने कहा कि दीवान हर पल छत्तीसगढ़ के हितों की चिन्ता करते थे।
प्रदेश के धर्मस्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि लगभग 11 वर्ष पहले राजिम के वार्षिक माघ पूर्णिमा मेले को मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में राज्य शासन द्वारा पवन दीवान के सुझावों के अनुरूप राजिम कुंभ का स्वरूप दिया गया।
उनकी मंशा के अनुरूप राज्य सरकार ने माता कौशल्या के नाम से पुरस्कार की भी स्थापना की है। अग्रवाल ने कहा कि सन्त कभी मरते नहीं है, बल्कि महाप्रयाण करते हैं।
श्रद्धांजलि सभा को पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी, विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष टी.एस. सिंहदेव और विधायक भूपेश बघेल ने भी सम्बोधित किया।
इस मौके पर छत्तीसगढ़ सरकार के पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री अजय चन्द्राकर, राजस्व और उच्च शिक्षा मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय, लोक निर्माण मंत्री राजेश मूणत, खाद्य मंत्री पुन्नूलाल मोहले, स्कूल शिक्षा मंत्री केदार कश्यप, नगरीय प्रशासन मंत्री अमर अग्रवाल सहित अनेक वरिष्ठ नेता, जनप्रतिनिधि, साहित्यकार और प्रबुद्ध नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।