अमृतसर। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पावन स्वरूपों की राज्य के विभिन्न हिस्सों में हो रही बेअदबी को लेकर बुलाए गए सरबत खालसा में अकाल तख्त के जत्थेदार को हटाने का प्रस्ताव पारित कर दिया है। सरबत खालसा ने जगतार सिंह हवारा को नया जत्थेदार को नियुक्त किया है।
सरबत खालसा में केशगढ़ और दमदमा साहिब के जत्थेदारों को भी बदलने का निर्णय लिया है। केशगढ़ में अमरीक सिंह अजनाला को व दमदमा साहिब का बलजीत सिंह दादूवाल को जत्थेदार नियुक्त किया है। देश के विभिन्न हिस्सों से सिख समुदाय के लाखों लोग अमृतसर के डेरा बाबा नोध सिंह के गांव चब्बा में पहुंच हुए हैं। सरबत खालसा आज बादल सरकार पर भी भारी पड़ा है।
सिख संगठनों ने मंच को पंजाब के सीएम प्रकाश बादल को कोम का दोषी बताया है। विदेशों से भी सिख सरबत खालसा में हिस्सा लेने के लिए अमृतसर पहुंच चुके हैं। उधर, सरबत खालसा बुलाया जाने को लेकर अकाली दल ने निंदा की है। सीएम प्रकाश बादल का कहना है कि जिन संगठनों ने सरबत खालसा बुलाया है उनके पास कोई एजेंडा ही नहीं है।
1986 के सरबत खालसा में हुआ था खालिस्तान का फैसला
गौरतलब है कि इससे पहले सरबत खालसा 1986 में बुलाया गया था, जिसमें पंजाब को खालिस्तान बनाने का निर्णय लिया गया था। सरबत खालसा को बुलाए जाने को लेकर इसका विरोध भी हो रहा है और इसे सिख समुदाय के लोग सही भी नहीं मान रहे हैं।
इस दौरान गड़बड़ी की आशंका को देखते हुए पंजाब पुलिस ने सुरक्षा का कड़ा बंदोबस्त किया है। कांग्रेस के एमएलए रमन जीत सिंह सिकी भी सरबत खालसा में हिस्सा लेने पहुंच गए है। गौरतलब है कि सिकी ने गुरू ग्रंथ सिंह से बेअदबी के मामले में एमएलए पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसे मंजूर नहीं किया गया है।