सबगुरु न्यूज-सिरोही। पिछले करीब पांच साल से सिरोही जिले में सिरोही कोतवाली में पुलिस सबसे ज्यादा लचर है। यहां वैसे कानून-व्यवस्था की ज्यादा समस्या है नहीं, इसके बावजूद भी समाज को तबाह करने वाले जुआ और ड्रग्स बिक्री जैसे अपराध बढ गए हैं। स्थिति का इसी से पता लगाया जा सकता है कि शहर में ड्रग्स के कारण तबाह हो रही नई पीढी के मामले में पुलिस की लापरवाही को लेकर सिरोही कोतवाली के पिछले सीआई और भाजयुमो जिलाध्यक्ष तो आमने सामने तक हो गए थे।
इसके बाद सीआई का स्थानांतरण हो गया। फिलहाल बात जुआ की। सिरोही में मुंबई के मटका कारोबार ने दस साल बाद फिर से पैर पसार लिए है। कई जगह इनके कार्यालय भी खुल गए हैं, जहां बाकायदा जुआ पर्चियां काटी जाती हैं।
15 कार्यालयों में बुकी सक्रिय
सिरोही में रामझरोखा से लेकर बस स्टैण्ड, सरजवाव दरवाजा और पैलेस रोड पर ही करीब 15 बुकियों ने अपने कार्यालय खोल लिए हैं। शहर के भीडभाड वाले और प्रमुख इलाकों में इन कार्यालयों में सोमवार से शनिवार को सवेरे दस से रात को ग्यारह बजे तक और रविवार को दोपहर बारह बजे तक पर्चियां काटने का काम जारी है।
सबगुरु न्यूज ने रविवार और सोमवार को सवेरे से रात तक शहर के इन मटका कार्यालयों पर इनकी गतिविधियों को अवलोकन किया तो यहां से पुलिस और जुआ खेलने व खिलाने वालों के संबंध में चैकाने वाली जानकारियां सामने आई।
सिरोही पुलिस की भूमिका संदिग्ध
जहां पूरे शहर को पता है कि सडक और दुकानों पर जमावडा लगाकर शहर के करीब 15 बुकी जुआ और मटके की पर्चियां काट रहे हैं वहीं पुलिस इन भीडभाड भरे इलकों में यह पता नहीं लगा पा रही है। वैसे पुलिस अधीक्षक ने एक वारदात के दौरान शहर में चोरियां बढने को लेकर सिरोही पुलिस की ढिलाई को माना था, लेकिन सिरोही शहर पुलिस की भूमिका जुआ और मटका को लेकर और ज्यादा संदिग्ध है। चर्चा यह भी है कि अपने क्षणिक लाभों को लेकर सिरोही पुलिस इस कारोबार पर हाथ नहीं डाल रही है।
बढी आत्महत्याएं भी
हाल ही में सिरोही और आसपास हुई आत्महत्याओं को इसी से जोडकर देखा जा रहा है। मरने वाले युवा हैं। अपने घरों में जुआ और मटके की समस्या से जूझ रहे लोगों ने बताया कि जब तक यह धंधा स्थानीय स्तर पर था तब तक ठीक था, लेकिन इसके तार मुंबई के मटका माफिया से जुडने के बाद जुआ खेलने वाले लोगों से पैसा वसूली का तरीका थोडा प्रताडना भरा हो गया है। इस कारण पैसा नहीं देने के कारण युवाओं को आत्महत्या भी करनी पडी है। वहीं महिलाओं को अपने गहने तक बेचने पडे हैं।