Warning: Undefined variable $td_post_theme_settings in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/news/wp-content/themes/Newspaper/functions.php on line 54
क्या आपकी कुंडली में भी है इनमें से कोई एक शुभ योग - Sabguru News
Home Astrology क्या आपकी कुंडली में भी है इनमें से कोई एक शुभ योग

क्या आपकी कुंडली में भी है इनमें से कोई एक शुभ योग

0
क्या आपकी कुंडली में भी है इनमें से कोई एक शुभ योग
saubhagya yoga in kundli
saubhagya yoga in kundli
saubhagya yoga in kundli

ज्योतिष शास्त्र में ऐसे अनेक शुभ योग हैं, जो किसी भी व्यक्ति की कुंडली में उपस्थित होने पर उसकी हर क्षेत्र में तरक्की की राह खोल देते हैं। पंचमहापुरुष योग भी इन्हीं योगों में से है। इस योग की उपस्थिति जातक को उसके लक्ष्य को प्राप्त करने में अत्यंत सहायता देती है। वह धनी-मानी, समाज में प्रतिष्ठित और संस्कारवान बन जाता है।
पंडित विनोद दुबे बताते हैं कि पंचमहापुरूष योग में पांच शुभ योग होते हैं। यह पांचों योग बहुत ही शुभ और राजयोग के समान फलदायी होते हैं। ज्योतिषशास्त्र की भाषा में इस योग को पंच महापुरुष योग कहा जाता है। इस योग में पंच शब्द का उपयोग इसलिए हुआ है क्योंकि पांच ग्रहों शुक्र, बुध, मंगल, बृहस्पति व शनि में से किसी एक ग्रह या एकाधिक ग्रहों के एक विशिष्ट स्थिति में उपस्थिति से यह योग उत्पन्न हो सकता है। पंचमहापुरूष योग में पांच योगों में रूपक योग, भद्रक योग, हंस योग, मालव्य योग और शश योग शामिल होते हैं। कुंडली में इन पांचों योगों में से एक योग बनना भी बेहद शुभ माना जाता है।
रूचक योग : व्यक्ति की कुंडली में मंगल यदि लग्न से केंद्र में बैठा है और अपने घर में अर्थात स्वग्रही हो या उच्च स्थान पर हो तो रूचक योग होता है। ऐसा जातक अत्यंत साहसी, शूरवीर, शत्रुओं पर विजय पाने वाला होता है। यह अपनी योग्यता एवं मेहनत से भूमि एवं वाहन का सुख प्राप्त करते हैं। आमतौर पर यह दीर्घायु होते हैं और करीब 70 साल तक सुख एवं ऐश्वर्य का आनंद प्राप्त करते हैं। इस योग को भी राजयोग के समान शुभ माना गया है।
भद्रक योग

बुध यदि लग्न से केंद्र में बैठा है और अपने घर में अर्थात स्वग्रही हो या उच्च स्थान पर हो तो भद्रक योग होता है। ऐसा जातक अत्यंत मधुर भाषी, विद्वान, बुद्धिमान होता है। यह व्यापार, लेखन एवं गणित के क्षेत्र में खूब नाम और यश अर्जित करते हैं। ऐसे व्यक्ति अपनी योग्यता और ज्ञान से सम्मानित और धनवान बनते हैं।
हंस योग

बृहस्पति यदि लग्न से केंद्र में बैठा है और अपने घर में अर्थात स्वग्रही हो या उच्च स्थान पर हो तो हंस योग बनता है। ऐसा जातक विद्या में निपुण, विविध शास्त्रों का ज्ञाता, साधु प्रकृति, आचारवान, अपने व्यवहार, अपनी छवि से सभी के ह्रदय में विराजमान होने वाला आदरणीय होता है। वह शिक्षा के क्षेत्र में उच्च पद पर शोभायमान होता है।
मालव्य योग

कुंडली में शुक्र यदि लग्न से केंद्र में बैठा है और अपने घर में अर्थात स्वग्रही हो या उच्च स्थान पर हो तो मालव्य योग बनता है। माना जाता है कि जिस व्यक्ति की कुण्डली में यह योग बनता है वह रोमांटिक होते हैं। कलात्मक विषयों में इनकी खूब रुचि होती है और खुद दिखने में सुंदर और आकर्षक होते है। ऐसे व्यक्ति जीवन में खूब धन कमाते हैं और ऐशो आराम से जीवन का आनंद लेते हैं। इनकी रुचि भौतिक सुख के साधनों में रहती है। ऐसे व्यक्ति चतुर और दीर्घायु होते हैं।
शश योग

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जिनकी जन्मकुण्डली में शनि महाराज पहलेए चौथे, सातवें अथवा दसवें घर में अपनी राशि मकर या कुंभ में विराजमान होते हैं। उनकी कुण्डली में पंच महापुरूष योग में शामिल एक शुभ योग बनता है। इस योग को शश योग के नाम से जाना जाता है। यह एक प्रकार का राजयोग है। शनि अगर तुला राशि में भी बैठा हो तब भी यह शुभ योग अपना फल देता है। इसका कारण यह है कि शनि इस राशि में उच्च का होता है। जिनकी कुण्डली में यह योग मौजूद होता है वह व्यक्ति गरीब परिवार में भी जन्म लेकर भी एक दिन धनवान बन जाता है। मेष, वृष, कर्क, सिंह, तुला वृश्चिक, मकर एवं कुंभ लग्न में जिनका जन्म होता है उनकी कुण्डली में इस योग के बनने की संभावना रहती है।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here